अमोघ विलक्षण चमत्कारी बजरंग बाण का अचूक प्रयोग...
अमोघ बजरंग बाण: एक चमत्कारी साधना**
आज हम एक विशेष और विलक्षण साधना के बारे में जानेंगे, जिसे बजरंग बाण कहते हैं। यह साधना भौतिक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए अत्यंत प्रभावी है। इस प्रयोग की प्रेरणा और सहयोग के लिए भगवान दास रठोर का आभार व्यक्त करते हुए, हम इस चमत्कारी साधना के बारे में विस्तार से जानेंगे।
### बजरंग बाण की शक्ति और महत्व
हनुमानजी को इस युग के साक्षात देवताओं में से एक माना जाता है। उनके भक्तों का जीवन दुख-क्लेशों से मुक्त रहता है और उनकी उन्नति होती रहती है। बजरंग बाण के नियमित पाठ से दुर्भाग्य, दारिद्र्य, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट दूर होते हैं। यह साधना मंगलवार या शनिवार को करने से विशेष लाभ होता है।
### साधना की तैयारी
1. **सिद्धि का दिन चयन:** अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगलवार या शनिवार का दिन चुनें।
2. **स्थान और आसन:** साधना के लिए शुद्ध और शांत स्थान चुनें। ऊनी या कुशासन का प्रयोग करें।
3. **हनुमानजी का चित्र:** जप के समय हनुमानजी का चित्र या मूर्ति सामने रखें।
4. **दीपक का प्रबंध:** अनुष्ठान से पहले गेहूं, चावल, मूंग, उड़द, और काले तिल को गंगाजल में भिगोकर उनका दीपक बनाएं।
5. **धागे की बत्ती:** अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का तार लें, इसे लाल रंग में रंग कर 5 बार मोड़ें, और तिल के तेल में डालें।
### साधना की विधि
1. **संकल्प:** जप से पहले संकल्प लें कि आपका कार्य सिद्ध होने पर आप नियमित रूप से हनुमानजी के निमित्त कुछ करेंगे।
2. **जप प्रारंभ:** हनुमान जी की छवि पर ध्यान केंद्रित करके बजरंग बाण का जप प्रारंभ करें। एक माला में "श्रीराम" से "सिद्ध करें हनुमान" तक जप करें।
3. **गूगुल धूप:** साधना के दौरान गूगुल की धूनी से घर को सुवासित करें।
### बजरंग बाण का पाठ
यहां आपके अनुरोध के अनुसार बजरंग बाण के दोहे और चौपाई में अंग्रेज़ी वर्णमाला के शब्द जोड़कर प्रस्तुत किया गया है, और बाकी पोस्ट वैसी ही है:
**दोहा:**
```
A निश्चय प्रेम प्रतीति ते, aबिनय करैं सनमान।
B तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥
```
**चौपाई:**
```
C जय हनुमंत संत हितकारी। cसुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥
D जन के काज बिलंब न कीजै। dआतुर दौरि महा सुख दीजै॥
E जैसे कूदि सिंधु महिपारा। eसुरसा बदन पैठि बिस्तारा॥
F आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोकाf॥
G जाय बिभीषन को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हाg॥
H बाग उजारि सिंधु*महँ बोरा। hअति आतुर जमकातर तोराh॥
I अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जाराl॥
J लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर नभ भईj॥
K अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामीk॥
L जय जय लखन प्रान के दाता। आतुर ह्वै दुख करहु निपाताl॥
M जै हनुमान जयति बल-सागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागरm॥
N ॐ हनु हनु हनु*हनुमंत हठीले। nबैरिहि मारु बज्र की कीलेn॥
O ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं*हनुमंत कपीसा। ॐ हुंo हुं हुं हनु अरि उर सीसाo॥
P जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकरसुवन बीर हनुमंताp॥
Q बदन कराल काल-कुल-घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालकq॥
R भूत, प्रेत, पिसाच निसाचर। अगिन बेताल काल मारी मरr॥
S इन्हें मारु, तोहि सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम कीs॥
T सत्य होहु हरिtसपथ पाइ कै। tराम दूत धरु मारु धाइ कैt॥
U जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधाu॥
V पूजा जप तपvनेम अचारा। नहिं जानतvकछु दास तुम्हाराv॥
W बन उपबन मग गिरि गृह माहीं। तुम्हरे बल हौं डरपत नाहींw॥
X जनकसुता हरि दास कहावौ। ताकी सपथ बिलंब न लावौy॥
Y जै जै जै धुनिyहोत अकासा। yसुमिरत होय दुसह दुख नासा॥
Z चरन पकरि, कर जोरि मनावौं। यहि औसर अब केहिz गोहरावौंz॥
AA उठु, उठु, चलु,*तोहि राम दुहाई। aaपायँ परौं,* कर जोरि मनाईaa॥
BB ॐ चं चं चं चं चपल चलंता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंताbb॥
CC ॐ हं हं हाँक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल-दलcc॥
DD अपने जन को तुरत उबारौ। सुमिरत होय आनंद हमारौdd॥
EE यह बजरंग-बाण*जेहि मारै। ताहि कहौ*फिरि कवन उबारैee॥
FF पाठ करै बजरंग-बाण की। हनुमत रक्षा करै प्रान कीff॥
GG यह बजरंग बाण जो जापैं। तासों भूत-प्रेत सब कापैंgg॥
HH धूप देय जो जपै हमेसा। ताके तन नहिं रहै कलेसाhh॥
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**जय महाकाली**
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