Tuesday, 15 December 2015

वस्तु से कैसे लाभ कमाये यह बता रहा हूँ दूकान/ऑफिस में वास्तु से अधिक लाभ कमायें



### *दूकान/ऑफिस* *में* *वास्तु* *से* *अधिक* *लाभ* *कमायें*

*ऊँ* *नमो* *आदेश* *आदेश* *गुरु* *जी,* *मैं* *आपका* *दोस्त* *पंडित* *नरेश* *नाथ* *आज* *आपको* *वास्तु* *से* *कैसे* *लाभ* *कमायें* यह *बता* रहा हूँ। *दूकान*/*ऑफिस* में *वास्तु* से *अधिक* *लाभ* *कमायें*…..

*हम* *वास्तु* के *द्वारा* अपनी *दूकान* या *ऑफिस* का *लाभ* कई *प्रतिशत* तक *बढ़ा* सकने में *सक्षम* हैं। *ज़रूरत* है *सिर्फ* वहां *वास्तु* के *नियम* अपनाने की। *व्यावसायिक* *प्रतिष्ठान*, *दूकान* और *ऑफिस* का *वास्तु* अनुसार यदि *उपचार* करें तो *बंद* *व्यापार* भी *खुल* जाता है। कोई भी *दूकान* अपना और *अपने* *परिवार* का *भरण-पोषण* करने के लिए किया जाता है। यदि *वास्तु* के *नियमानुसार* *व्यापार* या *दूकान* की *व्यवस्था* करेंगे तो, वह *शुभ* होगा और *लाभ* में *वृद्धि* होने लगेगी। और इसका *उत्तम* *फल* प्राप्त होगा। *अन्यथा* *मानसिक* एवं *आर्थिक* *परेशानियाँ* ही *प्राप्त* होंगी।

*दूकान* के लिए *गिने* *चुने* *भवन* के *ईशान* *कोण* को *बिलकुल* *खाली* रखें और वह *स्थान* *स्वच्छ* व *पवित्र* *बनाएँ* रखें। *ईशान* *कोण* की *स्वच्छता* ही *ग्राहक* को *आकर्षित* करने में *सहायक* होती है।

*दूकान* या *ऑफिस* में *पानी* की *व्यवस्था* *ईशान* *कोण* में अथवा *पूर्व* दिशा या *उत्तर* दिशा में *रखनी* चाहिए।

*दूकान* या *ऑफिस* में *पूजा* *स्थान* भी आप *ईशान* *कोण* या *पूर्व* दिशा अथवा *उत्तर* दिशा में *रखकर* लाभ *उठा* सकते हैं।

*दूकान* या *ऑफिस* में *जूते* या *भारी* *सामान* के *कार्टन* अथवा *अन्य* *प्रकार* का *भारी* *सामान* यदि *ईशान* *कोण* में रखा है तो उसे *तुरंत* हटा दें। यह *व्यापार* के लिए *घातक* सिद्ध होता है। *जहाँ* तक *संभव* हो सके तो, इस *प्रकार* का *सामान* *दक्षिण* या *पश्चिम* दिशा में *स्थापित* करें तो *बिक्री* *अधिक* होगी तथा *आपके* *माल* पर कोई *शिकायत* भी *नहीं* मिलेगी। *ग्राहक* हमेशा *संतुष्ट* रहेगा।

*दूकान* में *तोलने* वाला *यंत्र*, *तराजू* आदि को *पश्चिमी* या *दक्षिणी* दीवार के *साथ* किसी *स्टैंड* पर रखें तो, इससे *नुक्सान* नहीं होगा।

*अपनी* *दूकान* या *ऑफिस* में *उत्तर-पूर्व* (*ईशान* *कोण*), *उत्तर* और *पूर्व* दिशा का *भाग* *ग्राहकों* के *आने* *जाने* के लिए *हमेशा* *खाली* रखें। और यदि किसी कारण से *मेला* या *गन्दगी* से *खराब* हो जाए तो *तुरंत* *सफाई* करवा लें। इससे कोई भी *विवाद* *ग्राहक* से *नहीं* होता है। और *ग्राहक* *प्रसन्न* रहेगा।

*दूकान* में *माल* का *भंडारण* *दक्षिण*, *पश्चिम* अथवा *नैऋत्य* *कोण* में करें तो, *शुभ* *फलदायक* रहेगा।

*दूकान* या *अपने* *ऑफिस* में *बिजली* का *मीटर*, *स्विच* *बोर्ड*, *इन्वर्टर* आदि *सामान* *आग्नेय* *कोण* अर्थात *दक्षिण-पूर्व* दिशा के *कोने* में *उचित* रहता है। इसके *परिणाम* स्वरूप *दूकान* आदि में कभी भी कोई *चोरी* या *अग्नि* का *भय* नहीं रहेगा।

*दूकान* में *सीडियाँ* *ईशान* *कोण* के *अतिरिक्त* किसी भी दिशा में *रख* कर *उपयोग* कर सकते हैं।

*दूकान*, *दफ्तर*, *फैक्ट्री* के *सामने* कोई भी *विध* नहीं होना चाहिए। अर्थात *खम्भा*, *सीढ़ी*, *पेड़* या *बिजली*, *टेलीफोन* आदि का *खम्भा* *हानि* का *योग* बनाते हैं।

*पूर्व* मुखी *दूकान* या *ऑफिस* में *सड़क* *दूकान* पर *चढ़ने* के लिए *सीढ़ियाँ* *ईशान* *कोण* में *बनवा* सकते हैं।

*दूकान* का *मालिक* या *मुख्य* *व्यवस्थापक* को अपने *बैठने* का *स्थान* *यथा* *संभव* *नैऋत्य* *कोण* में *बनवाना* चाहिए। और अपना *मुख* *पूर्व* अथवा *उत्तर* दिशा की *ओर* करके *बैठना* चाहिए। *दूकान* में *पीने* का *पानी* का *पात्र* *ईशान* *कोण* में रखें तथा प्रतिदिन *दूकान* *खोलते* समय भर कर रखें और *पाँच* *तुलसी* के *पत्ते* उसमें डाल दिया करें। ऐसा करने पर *ग्राहक* जब भी *दूकान* में आएगा कोई *न* कोई *वस्तु* जरूर *खरीदेगा*, अर्थात वह *दूकान* से *खाली* वापस नहीं जाएगा।

*आपकी* *ज्योतिष*, *वस्तु*, *तंत्र*, *मंत्र* की कोई भी *समस्या* या *सुझाव* हो तो *आप* मुझे मेरे *वॉट्स* *एप* *नंबर* पर *मैसेज* करें या *सुबह* *10-11* के *बीच* *फोन* करें। *आप* मुझे *मेल* भी कर सकते हैं *shivjyotish9@gmail.com*  
*09317666790*

*जय* *महाकाली*




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