### छठे भाव का महत्व और प्रभाव
भारतीय वैदिक ज्योतिष में छठे भाव को अरि भाव या शत्रु भाव कहा जाता है। यह भाव व्यक्ति के जीवन में आने वाली चुनौतियों, प्रतिद्वंद्वियों, विवादों, मुकद्दमों और बीमारियों का सूचक है। छठे भाव के माध्यम से यह पता चलता है कि व्यक्ति किस प्रकार के शत्रुओं और कठिनाइयों का सामना करेगा और इन पर विजय पाने की उसकी क्षमता कैसी होगी।
#### छठे भाव के प्रभाव:
1. **शत्रु और प्रतिद्वंदी:**
- छठे भाव के बलवान होने से व्यक्ति अपने शत्रुओं और प्रतिद्वंदियों पर विजय प्राप्त करता है।
- बलहीन या बुरे ग्रहों के प्रभाव में होने से शत्रु और प्रतिद्वंदी ताकतवर होते हैं और व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
2. **विवाद और मुकद्दमे:**
- यह भाव झगड़ों, विवादों और मुकद्दमों के परिणाम के बारे में बताता है।
- छठे भाव के शुभ प्रभाव से व्यक्ति विवादों में लाभ प्राप्त करता है, जबकि बुरे प्रभाव से नुकसान हो सकता है।
3. **बीमारियाँ और स्वास्थ्य:**
- छठे भाव से पेट, आँतों, गुर्दों और पाचन तंत्र की स्थिति का पता चलता है।
- बुरे ग्रहों के प्रभाव से कब्ज, दस्त, गैस, गुर्दों की बीमारियाँ आदि हो सकती हैं।
4. **वित्तीय स्थिति और ऋण:**
- यह भाव व्यक्ति की वित्तीय स्थिति और ऋण की स्थिति के बारे में बताता है।
- बलहीन होने पर व्यक्ति को वित्तीय संकट और कर्ज का सामना करना पड़ सकता है।
5. **अन्य प्रभाव:**
- छठे भाव से नौकर-चाकर, सेवक, लड़ाई-झगड़े, नौकरी, कंजूसी, कार्य में रुकावट, आँखों की बीमारी, स्वास्थ्य और सफाई का भी पता चलता है।
- यह भाव व्यक्ति के मामा, मौसी, बहन, बुआ और सौतेली माँ से जुड़े रिश्तों को भी दर्शाता है।
छठे भाव की गहन विवेचना से यह स्पष्ट होता है कि व्यक्ति अपने जीवन में किन-किन चुनौतियों का सामना करेगा और इनसे निपटने की उसकी क्षमता कैसी होगी।
#### संपर्क जानकारी:
- **शिव वैदिक ज्योतिष विज्ञान:**
- वेबसाइट: [Shiv Vedic Jyotish](http://shivvadicjyotishtantric.blogspot.in)
- ईमेल: shivjyotish9@gmail.com
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**जय महाकाली**
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