**नमस्कार!**
मैं पंडित नरेश नाथ आपका आज के इस एपिसोड में स्वागत करता हूं। हमारे चैनल और ब्लॉग पर आपको दिव्य और अचूक तांत्रिक टोटके, वैदिक ज्योतिष, लाल किताब, और वास्तु शास्त्र के उपाय मिलेंगे। इन उपायों को सावधानीपूर्वक करने पर आप अपने जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याओं को पल भर में दूर कर सकते हैं। मेरा प्रयास है कि आपको साधना मार्ग के द्वारा समर्थ बना सकूं ताकि आपकी आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति हो सके। आज के इस एपिसोड में हम आपको कपीमुखी योगिनी साधना के विषय में बताने जा रहे हैं।
### कपीमुखी योगिनी साधना
यह एक अतिदुर्लभ योगिनी साधना है जिसे हम कपीमुखी योगिनी के नाम से जानते हैं। कपीमुखी योगिनी एक शक्तिशाली योगिनी हैं, और उनके स्वभाव और सिद्धि के बारे में जानना अति महत्वपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति हनुमान जी की सिद्धि प्रत्यक्ष रूप से करने में समर्थ नहीं है और फिर भी हनुमान जी जैसी क्षमता और कार्य सिद्धि प्राप्त करना चाहता है, तो उसे कपीमुखी योगिनी की साधना करनी चाहिए।
#### कपीमुखी योगिनी कौन हैं?
आप सभी ने हनुमान जी के बारे में विस्तृत ज्ञान प्राप्त किया है। हनुमान जी केवल वीर नहीं, बल्कि महावीर हैं। उनसे अधिक शक्तिशाली वीर इस धरती पर कोई नहीं है। हनुमान जी की सिद्धि प्राप्त करना अत्यंत कठिन है, लेकिन कपीमुखी योगिनी की साधना द्वारा हनुमान जी जैसी शक्तियों को प्राप्त किया जा सकता है। योगिनीयां प्राचीन काल से अति गुप्त विधि से सिद्ध की जाती रही हैं और अतिदुर्लभ सिद्धों द्वारा इनकी साधना की गई है।
#### साधना की विधि
कपीमुखी योगिनी की साधना करने के लिए साधक को एकांत और शांत स्थान का चयन करना चाहिए। यह साधना विशालकाय वृक्ष के ऊपर बैठकर या किसी पर्वत के शिखर पर जाकर करनी होती है। साधक को पहले नदी की मिट्टी से देवी की प्रतिमा बनानी चाहिए। देवी का पूरा शरीर मानव का और मुख कपी का होना चाहिए।
साधक को देवी के सामने शुद्ध सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए और संकल्प लेना चाहिए कि वह तब तक साधना करेगा जब तक सिद्धि प्राप्त नहीं होती। जिस क्षेत्र में अधिक बंदर निवास करते हों, वहां यह साधना करना अधिक उत्तम माना जाता है।
#### जप और हवन
साधक को रुद्राक्ष की चेतन माला लेकर एक लाल कंबल पर बैठकर, पश्चिम की दिशा की ओर मुंह करके यह साधना करनी चाहिए। हर रोज कम से कम 51 माला का जाप करना अनिवार्य है।
मंत्र:
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ॐ ह्री हुं कं कपीमुखी आगच्छ स्वाहा
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इस साधना में समय का कोई निश्चित विवरण नहीं होता। यह साधना कितने दिन चलेगी, इसका प्रमाण नहीं है क्योंकि शक्ति साधक की सामर्थ्य देखकर ही प्रकट होती है और साधक की परीक्षा लेती है।
#### साधना के दौरान आने वाले अनुभव
साधना के दौरान साधक को विभिन्न प्रकार के अनुभव होते हैं। साधक के सामने बंदर आकर उसकी साधना भंग करने का प्रयास कर सकते हैं। देवी की शक्तियां आकर साधक को भटकाने का प्रयास करती हैं। साधक को किसी भी प्रकार से विचलित नहीं होना चाहिए।
ब्रह्मचर्य रक्षा सबसे अनिवार्य है। हनुमान जी की शक्तियों से जुड़ी कोई भी साधना हो, वहां ब्रह्मचर्य का पालन करना आवश्यक है। साधक को किसी भी प्रकार के भय से डरने की आवश्यकता नहीं है। साधना के दौरान तेज हवाएं चल सकती हैं, बिजली कड़क सकती है, और वानरों के समूह साधक पर हमला कर सकते हैं। लेकिन साधक को स्थिर रहकर अपनी साधना जारी रखनी चाहिए।
#### साधना के पूर्ण होने पर
जब साधना पूर्ण होती है, तब कपीमुखी योगिनी साधक के सामने प्रत्यक्ष रूप से प्रकट होती हैं। वह साधक से वरदान मांगने को कहती हैं। साधक को उन्हें अपने वचन में बांधकर यह संकल्प लेना चाहिए कि वह सदा के लिए साधक के साथ रहेंगी और साधक के सभी कार्यों को सिद्ध करेंगी।
### महत्वपूर्ण सावधानियां
1. **साधना के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन:** किसी भी प्रकार की इच्छा या भोग के विचार से मुक्त रहें।
2. **भयमुक्त साधना:** साधना के दौरान आने वाले भयों को माया समझकर नजरअंदाज करें।
3. **खान-पान:** साधना के दौरान केवल फल और दूध का सेवन करें। अनाज का उपयोग कम से कम करें।
4. **प्राकृतिक आहार:** जंगलों में मिलने वाले प्राकृतिक आहार का सेवन करें।
5. **सिद्धि का प्रदर्शन न करें:** अपनी सिद्धि का प्रदर्शन किसी के सामने न करें।
### निष्कर्ष
कपीमुखी योगिनी साधना एक अतिविशेष और अतिदुर्लभ साधना है। साधक हनुमान जी जैसी शक्तियों को प्राप्त कर सकता है और समाज में अपनी उपस्थिति का प्रभाव दिखा सकता है। यह साधना साधक को बलवान और सिद्ध बनाती है।
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