देवताओं को नैवेद्य अर्पित करने के 12 महत्वपूर्ण नियम
भारतीय धर्म संस्कृति के अनुसार, देवताओं को अर्पित किया जाने वाला भोजन नैवेद्य कहलाता है। इसे भोग, प्रसाद या प्रसादी भी कहते हैं। नैवेद्य अर्पित करने के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। यहां प्रस्तुत हैं नैवेद्य चढ़ाने के 12 महत्वपूर्ण नियम:
1. **देवता को निवेदित करना नैवेद्य है**:
- सभी प्रकार के प्रसाद में प्रमुख रूप से दूध-शकर, मिश्री, शकर-नारियल, गुड़-नारियल, फल, खीर और भोजन शामिल होते हैं।
2. **अग्निदेव को अर्पित करें**:
- तैयार सभी व्यंजनों से थोड़ा-थोड़ा हिस्सा अग्निदेव को मंत्रोच्चार के साथ समर्पित करें। अंत में देव आचमन के लिए जल छिड़कें और नमन करें।
3. **भोग का अंश**:
भोजन के अंत में, इस प्रसाद का एक हिस्सा गाय, कुत्ते और कौए को दिया जाएगा।
4. **पीतल की थाली या केले के पत्ते का प्रयोग**:
- नैवेद्य को पीतल की थाली या केले के पत्ते पर ही परोसा जाना चाहिए।
5. **तुलसी का पत्ता**:
हर पकवान में तुलसी की पत्तियां डाली जाती हैं.
6. **नैवेद्य की थाली**:
- नैवेद्य की थाली तुरंत भगवान के आगे से नहीं हटानी चाहिए।
7. **विशेष प्रसाद**:
भगवान शिव के नैवेद्य में तुलसी की जगह बेल और भगवान गणेश के नैवेद्य में दूर्वा रखी जाती है।
8. **देवता के दक्षिण भाग में नैवेद्य**:
नैवेद्य को देवता के दक्षिणी क्षेत्र में रखा जाना चाहिए।
9. **पक्व और कच्चा नैवेद्य**:
कुछ ग्रंथों के अनुसार पका हुआ नैवेद्य भगवान के बायीं ओर तथा कच्चा नैवेद्य दाहिनी ओर रखा जाता है।
10. **नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नहीं**:
नैवेद्य में नमक, मिर्च और तेल का प्रयोग नहीं किया जाता है.
11. **मिष्ठान्न का प्रयोग**:
- नैवेद्य में नमक की जगह मिष्ठान्न का प्रयोग किया जाता है।
12. **भोग लगाने की विधि**:
भोजन करने के लिए सबसे पहले भोजन और पानी को अग्नि के सामने रखें। फिर देवताओं का आह्वान करने के लिए जल छिड़कें।
इन नियमों का पालन कर आप देवताओं को प्रसन्न कर उनकी कृपा प्राप्त कर सकते हैं। नैवेद्य अर्पित करने के यह नियम न केवल शास्त्रों में वर्णित हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि आपकी पूजा विधि शुद्ध और पवित्र हो।
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