Wednesday, 17 July 2024

प्रेत साधना: एक दिवसीय विधि


प्रेत साधना: एक दिवसीय विधि

प्रेत साधना तंत्र की एक महत्वपूर्ण साधना है, जो पहली सीडी के रूप में की जाती है। इस साधना के सिद्ध होने पर प्रेत बहुत से सांसारिक कार्यों में मदद कर सकते हैं। यह साधना तीव्र होती है और थोड़ी डरावनी भी हो सकती है, इसलिए इसे सोच-समझकर ही करना चाहिए। यह साधना एक दिन की होती है और इसे शनिवार को दिन में किया जाता है।

### प्रारंभिक तैयारी
शनिवार के दिन जब किसी की मृत्यु होती है और उसे जलाने ले जाया जाता है, तो मुर्दे के साथ कुछ आटे के गोले बना कर रखे जाते हैं। आपको उनके साथ-साथ चलते हुए, जब कहीं उन गोलों को फेंका जाए या श्मशान में कहीं रखा जाए, तो उन्हें प्राप्त करना होगा। मुर्दे का नाम और गोत्र पूछ लें और रात में 11 बजे वापस श्मशान जाएं।

### सामग्री
- आटे के गोले
- थोड़ा गुड़
- घी
- पानी
- सफेद मिठाई
- अगरबत्ती

### विधि
1. **स्थल चयन**: श्मशान में जहां मुर्दा जलाया गया हो, वहां से चिता के सिरहाने की तरफ थोड़ी दूर जाकर बैठें।
2. **आग जलाना**: लकड़ी और उपले बीनकर आग जलाएं और चारों ओर घेरा खींच लें।
3. **दीपक और रोटी बनाना**: थोड़ा आटा लेकर दीपक बना लें और बाकी आटे से दो-तीन रोटियाँ बना कर सेंक लें। रोटी पर घी लगाकर गुड़ रखें।
4. **मंत्र जाप**: सारी क्रिया के दौरान मंत्र का जाप करते रहें।
5. **प्रेत की प्रतीक्षा**: जब प्रेत हाजिर हो और रोटी मांगे, तो उससे वचन लेकर ही रोटी दें।
6. **समापन**: इसके बाद घर आ जाएं।

### ध्यान रखने योग्य बातें
- यह साधना एक दिन की होती है, लेकिन इसे करते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।
- साधना के दौरान किसी भी प्रकार का भय या विचलन नहीं होना चाहिए।
- मंत्र का जाप पूरे समय श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए।

इस विधि को करते समय धैर्य और साहस की आवश्यकता होती है। यह साधना न केवल प्रेत को सिद्ध करने में सहायक होती है, बल्कि साधक को एक नई आध्यात्मिक अनुभूति भी प्रदान करती है।

 

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