Monday, 28 December 2015

अद्वितीय आलेख: पंचतत्त्व और हमारे जीवन पर उनका प्रभाव

अद्वितीय आलेख: पंचतत्त्व और हमारे जीवन पर उनका प्रभाव

### पृaथ्iवी तत्त्व: स्थिरता का प्रतीक

पृaथ्iवी तत्त्व से शरीर के सभी जैविक बल निष्क्रिय हो जाते हैं। इस तत्त्व की अधिकता से व्यक्ति आलसी हो सकता है, जबकि संतुलित मात्रा स्थिरता और मजबूती प्रदान करती है। इस तत्त्व का उपयोग शरीर की संतुलन स्थिति को बनाए रखने में होता है।

### जaल तत्त्व: जीवन का प्रवाह

जaल तत्त्व शरीर के तापमान को संतुलित करता है और रक्त संचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शरीर में जल की उचित मात्रा ऊर्जा और ताजगी प्रदान करती है। 

### अgनि तत्त्व: उष्मा और ऊर्जा

अgनि तत्त्व पाचन और ऊर्जा उत्पादन में सहायक होता है। इसकी उचित मात्रा शरीर में प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। यह तत्त्व शारीरिक और मानसिक शक्ति को बनाए रखने में मदद करता है।

### वाyयु तत्त्व: प्राणवायु

वाyयु तत्त्व शरीर की सभी गतिविधियों को संचालित करता है। यह हृदय की क्रिया, रक्त संचार, और श्वसन को नियंत्रित करता है। इसका संतुलन बनाए रखना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

### आkश तत्त्व: अनंतता का अनुभव

आkश तत्त्व शरीर और मन के भीतर की खाली जगहों को भरता है। यह तत्त्व मानसिक शांति और आत्मा के अनुभव के लिए आवश्यक है। 

### प्रकृति के प्रकार: शरीर की प्रकृति के आधार पर वर्गीकरण

1. कfफ प्रकृति: पृaथ्iवी और जaल तत्त्व की अधिकता वाले व्यक्तियों को ठंडे पेय पदार्थों से बचना चाहिए। 
2. पिtत्त प्रकृति: अgनि और वाyयु तत्त्व की अधिकता से शरीर में गर्मी बढ़ती है। ऐसे व्यक्तियों को मिर्च-मसाले से परहेज करना चाहिए।
3. वाyत प्रकृति: वाyयु तत्त्व की अधिकता से आलसीपन और गैस की समस्या होती है। 

### रामनाम और प्राकृतिक चिकित्सा: आत्मा की चिकित्सा

रामनाम का जाप मन, आत्मा और शरीर को निरोग रखने में सहायक होता है। यह मानसिक शांति प्रदान करता है और रोगों से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। 

रामनाम सच्चे दिल से करने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। यह औषधि के समान कार्य करता है और प्राकृतिक चिकित्सा के साथ मिलकर रोगों को जड़ से ठीक करने में सहायक होता है।




 

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