Tuesday, 29 March 2016

कैसे आप आपने दुर्भाग्य को सदा सदा के लिए समाप्त कर सकते है


**दुर्भाग्य समाप्ति के उपाय: अनोखी विधि**

**टोटके का परिचय:**

यह एक प्राचीन और प्रभावी टोटका है, जिसे करने से दुर्भाग्य हमेशा के लिए समाप्त हो सकता है। नीचे दिए गए यंत्र को 11 सफेद कागजों पर अनार की कलम से केसर और कस्तूरी मिलाकर लिखें। धूप-दीप जलाकर अपने उपास्य देव को याद करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके दुर्भाग्य को समाप्त करें। 

प्रार्थना के बाद, आटे को गूंथ कर 11 लोइयां बनाएं। हर लोई में एक यंत्र रखकर गोल बनाएं ताकि कागज पूरी तरह छिप जाए। इन गोलों को नदी में प्रवाहित करें। यह क्रिया 11 दिनों तक सूर्यास्त से पहले करें। इसे प्रतिदिन एक ही समय पर और छुपकर करने से इसका प्रभाव अधिक होता है।

**यंत्र और तावीज़:**

1. **तावीज़ बनाने की विधि:**

   - सिद्धयोग, दीपावली, या होली के दिन अनार की कलम से अष्टगंध स्याही का उपयोग कर यंत्र को भोजपत्र पर लिखें।
   - इसे धूप-दीप से पूजें और स्वर्ण तावीज़ में रखकर दाहिने हाथ में काले धागे से बांध लें। यह तावीज़ बाधाओं को दूर कर शुभ फल देता है।

2. **सुलेमानी तावीज़:**

   - शुद्ध केसर और कस्तूरी से अनार की कलम का उपयोग कर सफेद कागज पर यंत्र लिखें।
   - दो यंत्र बनाएं: एक को धूनी देकर धोकर पी लें और दूसरा कपड़े में सिलकर दाहिने हाथ में बांध लें। इससे दुर्भाग्य के दिन जल्दी ही शुभ दिनों में बदल सकते हैं।

**समस्याओं का समाधान:**

यदि आपको व्यापारिक मंदी, बेरोजगारी, गरीबी, मुकदमे, या घरेलू समस्याओं जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो इस यंत्र को गुलाब और जाफरान से महीने की शुरुआत में मुश्तरी या जोहरा की घड़ी में लिखें। इसे दाहिने हाथ पर (महिलाएं बाएं हाथ पर) बांध लें। इससे समस्याएं दूर होंगी और जीवन में समृद्धि आएगी। यंत्र लिखते समय साफ-सुथरे कपड़े पहनकर स्नान करें।

**तंगी और परेशानी से बचाव:**

यंत्र को मुश्क और जाफरान से लिखें और तह कर गंडा बनाएं। इसे दाहिने हाथ पर बांध लें। यह यंत्र तंगी और परेशानी से निजात दिलाता है और कुछ ही दिनों में शुभ फल देने लगता है।

**संपर्क जानकारी:**

रत्न, रक्षा कवच, या यंत्र से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए संपर्क करें। अपनी समस्याएं या सुझाव वॉट्सएप पर भेजें या सुबह 10-11 बजे के बीच फोन करें। 
- **ईमेल:** shivjyotish9@gmail.com
- **फोन:** 09317666790

हम 16 वर्षों से महाकाली की कृपा से जनकल्याण हेतु हवन कर रहे हैं। हवन से असंभव भी संभव हो सकता है। देवताओं को संतुष्ट करने के लिए यज्ञ आवश्यक है।

**

No comments:

Post a Comment