Friday, 30 September 2016

आत्मा , जीवात्मा , प्रेतात्मा का रहस्य

**परमात्मा, आत्मा, जीवात्मा, और प्रेतात्मा का रहस्य**


ॐ *नमो* *आदेश* *आदेश* *गुरु* *जी* *को* 


मैं आपका दोस्त *पंडित* *नरेश* *नाथ* *जी* आज आपको बता रहा हूँ कि परमात्मा, आत्मा, जीवात्मा, और प्रेतात्मा का रहस्य क्या है।


**परमात्मा**: शून्य तत्व परमात्मा है। इसमें शाश्वत नियमों से उत्पन्न होने वाला *‘परमाणु* आत्मा है। यही अपनी प्रतिलिपियां सभी इकाई के केंद्र में डाल कर उसमें जीवन देता है। वास्तविक जीव यही हैं। किसी इकाई का शेष शरीर 9 *उर्जास्तरो* से बना एक खोल जैसा मशीन है, जिसके केंद्र में बैठकर यह *आत्मा* उसे ऑपरेट करती है।


**जीवात्मा**: किसी भी इकाई का नाभिक उसकी जीवात्मा है। सौरमंडल में *सूर्य* जीवात्मा है; हमारे शरीर के केंद्र का *पॉवर-पॉइंट*, पृथ्वी में *कोर* उसका जीवात्मा है।


**प्रेतात्मा**: जब किसी आकस्मिक प्रहार या दुर्घटना से किसी इकाई के पॉवर-सर्किट का तीन स्तर नष्ट हो जाता या अलग हो जाता है; तो छ लेयर में कैद *आत्मा* प्रेतात्मा कहलाती है। इसका शरीर नष्ट होता है; पर ऊर्जाशरीर बना रहता है। यह प्रेतात्मा *नेगेटिव* न होने के कारण अपने आवेश से व्याकुल रहती है और *नेगेटिव* की चाह में किसी अन्य के शरीर में प्रविष्ट हो जाती है। महिलाएं प्रकृति की *नेगेटिव* उत्पत्ति केंद्र हैं; इसीलिए इनकी पहली पसंद महिलाएं होती हैं।


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**शिव वैदिक ज्योतिष विज्ञान**

खन्ना, पंजाब।


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