विदेश में सफलता के योग
### यात्रा के सामान्य योग
*तीसरे भाव* (Third House) से यात्रा के योग बनते हैं। यह भाव साहस और सहजता का है। अगर लग्न से तीसरा भाव मजबूत हो तो व्यक्ति सफल यात्राएं कर पाता है। *बारहवां भाव* (Twelfth House) घर छोड़ने में मदद करता है। विदेशी संबंधों को भी बारहवें भाव से देखा जाता है। यह भाव मूल रूप से *क्षरण* (Decay) का भाव है। यह क्षरण पैसा खर्च होने के रूप में भी हो सकता है और शारीरिक क्षरण के रूप में भी।
### दशाओं का प्रभाव
किसी लग्न विशेष में *तीसरे भाव* के अधिपति और *बारहवें भाव* के अधिपति की दशा अथवा अंतरदशा आने पर जातक को घर से बाहर निकलना पड़ता है। जब तक यह दशा रहती है, जातक घर से दूर रहता है। अधिकतर मामलों में दशा बीत जाने के बाद जातक फिर से घर लौट आता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में लग्न और 12वें घर के स्वामी का अंतर्संबंध हो तो, वह न केवल जन्म भूमी से दूर जाकर सफल होते हैं, बल्कि परदेस में ही सदा के लिए बस भी जाते हैं।
### पारंपरिक भारतीय ज्योतिष के अनुसार
तीसरे भाव और बारहवें के अधिपति की दशा अथवा अंतरदशा में जातक छोटी यात्राएं (Short Journeys) करता है। वहीं *नौंवे* और बारहवें भाव के अधिपति की दशा अथवा अंतरदशा में लंबी यात्राओं (Long Distance Journeys) के योग बनते हैं। छोटी यात्रा कुछ सप्ताह से लेकर कुछ महीनों तक की हो सकती है, जबकि लंबी यात्रा कुछ महीनों से सालों तक की हो सकती है। छोटी यात्रा जन्म अथवा पैतृक निवास (Paternal Land) से कम दूरी के स्थानों के लिए हो सकती है, तो लंबी यात्राएं घर से बहुत अधिक दूरी की मानी जाती हैं।
### केपी पद्धति के अनुसार
के.एस. कृष्णामूर्ति द्वारा बनाई गई केपी पद्धति (KP Method) के अनुसार जब तीसरे, नौंवे और बारहवें भाव के कारक ग्रहों (Significant) की दशा अथवा अंतरदशा आती है, तब जातक यात्राएं करता है। कारक ग्रह का निर्धारण तीसरे, नौंवे तथा बारहवें भाव में मौजूद राशि के अधिपति यानी तृतीयेश, नवमेश अथवा द्वादशेश जिन नक्षत्रों में बैठे हों उनके अधिपति के अनुसार होता है।
### विदेश यात्रा का महत्व
आधी सदी पहले तक विदेश यात्रा एक महत्वपूर्ण सवाल हुआ करता था। घर को छोड़कर दूसरे देशों की लंबी यात्राओं पर गए परिवार के सदस्य की खोज खबर भी केवल चिट्ठी पत्री से हो पाती थी। समय के साथ परिवहन के साधनों (Transportation) और संचार माध्यमों (Communication) का जाल बढ़ा है। ऐसे में किसी जातक के लिए हवाई यात्रा, ट्रेन अथवा बस से यात्रा करने के अलावा विदेश यात्रा के बारे में ना नहीं कहा जा सकता।
### राशियों की प्रकृति
प्रकृति के अनुसार राशियां तीन प्रकार की बताई गई हैं: *चर*, *स्थिर* और *द्विस्वभाव*। *चर राशि* वाले जातकों को नियमित रूप से चलना अथवा गतिमान रहना उचित लगता है। *स्थिर राशि* वाले जातक एक ही स्थान पर जमे रहकर काम करने में सुकून का अनुभव करते हैं। *द्विस्वभाव राशि* वाले जातकों के घूमने और बैठकर या टिककर काम करने का समय अलग-अलग होता है।
### विदेश में अवसर के योग
#### मेष (Mesha)
मेष लग्न के जातकों के लिए *बुध* या *गुरु* की दशा अथवा अंतरदशा में विदेश जाने के योग बनते हैं। शनि भगवान की आराधना विदेश में अच्छा लाभ अर्जित करा सकती है।
#### वृष (Vrishubha)
वृष लग्न के जातकों के लिए *चंद्रमा* या *मंगल* की दशा अथवा अंतरदशा में विदेश जाने के योग बनते हैं। गुरु का लाभ लेने के लिए विदेश में जातक को नियमित रूप से मंदिर जाना चाहिए।
#### मिथुन (Mithuna)
मिथुन लग्न के लोग*सूर्य* की महादशा या अंतरदशा में यात्राएं करते हैं और *शुक्र* की दशा या अंतरदशा में विदेश की यात्राएं करते हैं। हनुमान की पूजा करने से विदेश में लाभ होगा।
#### कर्क (Karka)
कर्क लग्न के जातक *बुध* की दशा अथवा अंतरदशा में विदेश यात्रा का सुख लेते हैं। यात्रा के दौरान थोड़ी भी असुविधा इन्हें परेशान कर देती है।
#### सिंह (Simha)
सिंह लग्न के जातक *शुक्र* की दशा अथवा अंतरदशा में छोटी यात्राएं करते हैं और *चंद्रमा* की दशा अथवा अंतरदशा में विदेश प्रस्थान करते हैं।
#### कन्या (Kanya)
कन्या लग्न के जातकों को *मंगल* की दशा अथवा अंतरदशा में घर से बाहर रहने का मौका मिलता है। शिव आराधना इन जातकों को विदेश में सफलता दिला सकती है।
#### तुला (Tula)
तुला लग्न के लोगों को *गुरु*की दशा अथवा अंतरदशा में यात्रा करने का अवसर मिलता है। बुध की दशा अंतर दशा में ये जातक घर से लंबी दूरी की यात्राएं करते हैं।
#### वृश्चिक (Vrishchik)
वृश्चिक लग्न के जातकों को *शनि* की दशा या अंतरदशा में छोटी यात्राएं करनी पड़ती हैं। बुध की स्थिति बेहतर होने पर विदेश में सफलता मिलती है।
#### धनु (Dhanu)
धनु लग्न के जातक *शनि* की दशा या अंतरदशा में घर से बाहर निकलते हैं। मंगल का सहयोग लेने पर लंबी यात्राएं करते हैं।
#### मकर (Makar)
मकर लग्न के जातक *गुरु* की दशा में विदेश यात्रा करते हैं। मंगल की बेहतर स्थिति विदेश में लाभ का वादा करती है। हनुमानजी की आराधना सफलता दिला सकती है।
#### कुंभ (Kumbh)
कुंभ लग्न के जातक *मंगल* की दशा अथवा अंतरदशा में छोटी यात्राएं करते हैं। शनि की दशा या अंतरदशा लंबी दूरी की यात्राएं कराती है।
#### मीन (Meena)
मीन लग्न के जातक *शुक्र* की दशा अथवा अंतरदशा में छोटी यात्राएं करते हैं और *शनि* की दशा या अंतरदशा में विदेश यात्रा करते हैं।
### निष्कर्ष
विदेश में सफलता प्राप्त करने के लिए विभिन्न ग्रहों की दशा और स्थिति का महत्वपूर्ण योगदान होता है। कुंडली में ग्रहों की सही पहचान और उनकी दशाओं को समझकर ही विदेश यात्रा के योग और उसमें सफलता के संभावनाओं को जाना जा सकता है।
No comments:
Post a Comment