ये 10 तरह की महिलाएं होती हैं बहुत अच्छी और खुशमिजाज़... शास्त्रों में लिखा है ये राज!
नारी को भारतीय संस्कृति में लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। वह अन्नपूर्णा का वरदान लेकर परिवार को पोषण और समृद्धि प्रदान करती है। शास्त्रों में सौभाग्यवती स्त्री के कुछ लक्षणों का वर्णन किया गया है, जिनमें से प्रमुख इस प्रकार हैं:
#### 1. मीठे वचन बोलने वाली
सौभाग्यवती नारी वह होती है जो मीठे वचन बोलती है। उसकी आवाज में मधुरता होती है और वह हर किसी से स्नेहिल वाणी में व्यवहार करती है।
#### 2. आस्तिक और सेवा भाव रखने वाली
आस्तिक, सेवा भाव रखने वाली, क्षमाशील, दानशील, बुद्धिमान, दयावान और कर्तव्यों का पालन पूर्ण निष्ठा से करने वाली स्त्री लक्ष्मी का रूप मानी जाती है।
#### 3. मन से सुंदर
सौभाग्यवती वह स्त्री है जो तन से अधिक मन से सुंदर हो।
#### 4. मेहमानों का स्वागत सत्कार करने वाली
जो स्त्री घर आए मेहमानों का स्वागत सत्कार करती है, वह सौभाग्यवती मानी जाती है।
#### 5. पराया दुख देखकर दुखी होने वाली
वह स्त्री जो पराया दुख देखकर दुखी होती है और अपनी सामर्थ्य के अनुसार सहायता करती है, सौभाग्यवती होती है।
#### 6. समान रूप से भोजन परोसने वाली
घर की रसोई में भेदभाव किए बिना समान रूप से सभी को भोजन परोसने वाली स्त्री सौभाग्यवती मानी जाती है।
#### 7. स्वच्छता का पालन करने वाली
जो स्त्री प्रतिदिन स्नान करके साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनकर रसोई घर में प्रवेश करती है, वह सौभाग्यवती होती है।
#### 8. पूजा-पाठ करने वाली
सुबह-शाम घर में देवी-देवताओं के सामने धूप, दीप और सुगंधित अगरबत्ती जलाकर पूजा-पाठ करने वाली स्त्री सौभाग्यवती मानी जाती है।
#### 9. पतिव्रता धर्म का पालन करने वाली
जो स्त्री पतिव्रता धर्म का पालन करती है, उसे सौभाग्यवती माना जाता है।
#### 10. धर्म और नीति के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करने वाली
वह स्त्री जो धर्म और नीति के मार्ग पर चलने के लिए पारिवारिक सदस्यों को प्रेरित करती है, सौभाग्यवती होती है।
इन गुणों को अपनाकर महिलाएं न केवल अपने परिवार का सौभाग्य बढ़ा सकती हैं, बल्कि समाज में भी आदर्श प्रस्तुत कर सकती हैं। शास्त्रों में वर्णित इन गुणों को जीवन में अपनाकर नारी अपनी महानता को सिद्ध कर सकती है।
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