### कुल देव/देवी ज्ञान प्रयोग
**सामग्री**:
- साफ़ जल
- आटा
- हल्दी
- तिल का तेल या घृत
- दीपक
- गुड़
- आटा
- मालपुए
- दोने
- नींबू
- लौंग
- काले तिल
- गुग्गल धूप
**प्रक्रिया**:
1. **समय**: किसी भी सोमवार की रात्रि को।
2. **स्थान**: पूजन स्थल, उत्तर दिशा की ओर मुख करके।
3. **बैठने की विधि**: पीले वस्त्र पहनकर बैठें।
4. **भूमि शुद्धि**: सामने साफ़ जल से भूमि धोकर आटे से एक चौका बना लें।
5. **त्रिकोण बनाना**: चौके में हल्दी से एक त्रिकोण बनाएं जिसका मुख नीचे की ओर हो।
6. **दीपक प्रज्वलित करें**: त्रिकोण के मध्य में तिल का तेल या घृत दीपक प्रज्वलित करें।
7. **मालपुए रखें**: तीनों कोनों पर गुड़ और आटे से बने मालपुए एक-एक दोने में भरकर रखें।
8. **नींबू, लौंग, और काले तिल रखें**: हर रेखा पर एक-एक नींबू, लौंग और थोड़े से काले तिल रखें।
9. **धूप जलाएं**: गुग्गल धूप जलाकर अपने कुल इष्ट से प्रार्थना करें।
**प्रार्थना**:
"हे मेरे कुल इष्ट, आप मुझ पर कृपा करें और स्वप्न या ध्यान के माध्यम से संपर्क करें और अपना ज्ञान दे साक्षात्कार दें।"
**मंत्र**:
गुरु मेरो आतम जोती, जोती बैठी आतम में,
आतम ध्यावे परम ज्योति को,
परम ज्योति को अंश कुल पूरख देव,
कर कृपा दे आशीष अपनों मेरे देव,
आदेश गुरु को,आदेश आदेश आदेश ||
**मंत्र जाप**: इस मंत्र का मात्र 108 बार उच्चारण करें। एकाग्रता अनिवार्य है। यह मात्र एक रात्रि का प्रयोग है।
**अगले दिवस**:
- सभी सामग्री को किसी साफ़ स्थान पर रख दें।
- भोग को गाय को खिला दें या विसर्जित कर दें।
**विशेष नोट**: इसके पहले अगर साबर गुरुपूजन कर लिया जाए तो उत्तम होता है। इस संबंधी जानकारी मेरी पिछली कुछ पोस्टों में मिल जाएगी।
No comments:
Post a Comment