Thursday, 12 January 2023

मातंगी साधना जीरो से हीरो बनने के लिए

### नमस्कार, मैं पंडित नरेश नाथ

आज के इस एपिसोड में आप सभी का स्वागत है। हमारे ब्लॉग और चैनल पर आपको मिलेंगे दिव्य तांत्रिक टोटके, वैदिक ज्योतिष, लाल किताब, और वास्तु शास्त्र के ऐसे उपाय जिनको करके आप अपने जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याओं को पल भर में दूर कर सकते हैं। बस इसके लिए आपको हमारे द्वारा बताए गए उपायों को सावधानीपूर्वक करना होगा।

अध्यात्म में रुचि रखने वाले जिज्ञासु के लिए यह एक मंदिर की तरह है, जहां अपनी जिज्ञासा को शांत कर ईश्वर की ओर बढ़ने का मार्ग प्राप्त होता है। मैं ना तो कोई साधु हूं, ना ही सन्यासी। नहीं मैं कोई आश्रम या संस्था चलाता हूं। मैं भी आपकी तरह एक जिज्ञासु हूं, जो हमारे बहुमूल्य ग्रंथों में ऋषियों की अनमोल वाणी को खोज कर आप तक पहुंचाने का प्रयास करता हूं। मेरा प्रयास रहता है कि सनातन धर्म की ध्वजा को हर घर तक पहुंचाया जा सके। इसमें आपका भी कर्तव्य बनता है कि आप भी इस ध्वजा को और ऊपर उठाने में हमें सहयोग करें।

### धर्म और संस्कृति का महत्व

शास्त्र कहते हैं कि यदि आप अपने धर्म और संस्कृति से जुड़े रहते हैं तो आपका मूल्य बढ़ता है। यदि आप अपने दुखों के मूल को जानना चाहते हैं तो पाएंगे कि अपनी संस्कृति और धर्म से टूटने के कारण ही आप आज दुखी हैं। श्रीकृष्ण ने भी गीता में कहा है कि अपने धर्म से बढ़कर कोई अन्य धर्म नहीं और धर्म की रक्षा से ही आपको यश और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

### 9 महाविद्या मां महा मातंगी की साधना

आज के इस एपिसोड में हम आपको जीवन में उच्चतम स्थान प्राप्त करने के लिए और सभी भौतिक सुख, समृद्धि, एवं यश प्राप्ति के लिए 9 महाविद्या मां महा मातंगी की साधना प्रदान कर रहे हैं। समस्त जगत शक्ति से ही संचालित होता है और शक्ति के 10 स्वरूपों में से एक हैं 9वीं महाविद्या मां मातंगी। भगवान शिव के मतंग रूप अर्धांगिनी होने के कारण इनका नाम मातंगी पड़ा। विश्वामित्र जी ने तो यहां तक कह दिया कि जिसने मातंगी महाविद्या की साधना कर ली, उसे 10 महाविद्या का आशीर्वाद मिल जाता है।

#### मातंगी साधना के लाभ

1. **मान-सम्मान**: मां मातंगी की साधना से समाज में एवं परिवार में भरपूर मान-सम्मान प्राप्त होता है।
2. **यश**: इस साधना के प्रभाव से आप अपने कार्यक्षेत्र में एक लोकप्रिय और यशस्वी व्यक्ति बन जाते हैं।
3. **आर्थिक समृद्धि**: महालक्ष्मी की कृपा से साधक का आर्थिक पक्ष पूरी तरह मजबूत हो जाता है।

#### साधना विधि

यह साधना नवरात्रि, गुप्त नवरात्रि, अक्षय तीज, या शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार को शुरू की जा सकती है। शास्त्रों में अक्षय तीज से वैशाख पूर्णिमा का समय इस साधना के लिए सबसे उत्तम बताया गया है। साधना काल में आपको साधना के सभी नियमों का पालन करना होगा।

1. **समय**: रात्रि 10:00 बजे या सुबह ब्रह्म मुहूर्त में साधना करनी होगी।
2. **वस्त्र**: सफेद वस्त्र और सफेद आसन।
3. **दिशा**: आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होगा।
4. **चौकी की तैयारी**: लकड़ी की चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर हृीं बीज मंत्र साबुत चावलों से लिखें। बीज मंत्र के ऊपर माता का चित्र या यंत्र स्थापित करें। उसके पास गाय के घी का अखंड दीपक लगाएं जो साधना काल तक जलता रहे।

#### पूजन क्रम

1. **गुरु मंत्र जाप**: गुरु मंत्र की 4 माला जाप करें और गुरु का पूजन कर मानसिक रूप से गुरु से सफलता का आशीर्वाद प्राप्त करें।
2. **गणेश पूजन**: गणेश जी के ॐ वक्रतुंडाय होम मंत्र की एक माला जाप करें।
3. **भैरव पूजन**: भगवती के भैरव मतंग भैरव के मंत्र ॐ हूं भ्रम हूं मतंग भैरवाय नमः की एक माला जाप करें।
4. **संकल्प**: पहले दिन संकल्प करें कि किस कामना हेतु आप साधना कर रहे हैं।
5. **पंचोपचार पूजन**: सफेद वस्तुओं से सफेद पुष्पमाला, सफेद मिठाई, दूध की बनी हुई माला, और पंचोपचार पूजन करें।
6. **मंत्र जाप**: 21 माला मंत्र का जाप करें। जाप करने से पहले विनियोग, ऋषि न्यास करें।

#### विनियोग

```
अस्य मंत्रस्य दक्षिणामूर्ति ऋषि विराट छ्न्द: मांतगी देवता हरीम बीजं हूं शक्ति क्लीं कीलक सर्वाभीष्ट सिद्धयै जपे विनियोग:
ऋषिादिन्यास
ॐ ह्रां हरदाय नमः। (हृदय को स्पर्श करें)
ॐ ह्रीं सिरसे स्वाहा। (सिर को स्पर्श करें)
ॐ ह्रूं शिखायै वषट्। (शिखा को स्पर्श करें)
ॐ ह्रैं कवचाय हूं। (भुजाओं को स्पर्श करें)
ॐ ह्रौं नेत्रत्रयाय वौषट्। (नेत्रों को स्पर्श करें)
ॐ ह्रः अस्त्राय फट्। (सिर से घूमाकर तीन बार ताली बजाए)
```

#### मंत्र जाप

```
।। ॐ हरीम हरीम हरीम महामातंगी प्रचितीदायिनी लक्ष्मीदायिनी नमो नमः ।।
```

#### जाप समर्पण मंत्र

```
गुह्याति-गुह्य-गोप्त्री-त्वं गृहाणास्मितकृतम् जपं।
सिद्धिर्भवतु मे देवी त्वत्प्रसादान्मयि स्थिरा ||
```

### साधना का समापन

यह साधना हर रोज एक निश्चित समय पर 11 दिनों तक सम्पन्न करें। साधना के अन्तिम दिन अग्नि प्रज्ज्वलित कर घी, तिल तथा अक्षय गूगल मिलाकर 108 आहुति प्रदान करें। अगले दिन यंत्र या चित्र हो तो पूजाघर में रख दें। पूजा का प्रसाद स्वयं ग्रहण करें और इतर सँभाल कर रखें, प्रतिदिन इसे लगाने से आकर्षण पैदा होता है। इस प्रकार यह 11 दिवसीय साधना सम्पन्न होगी। कुछ ही दिनों में आप साधना का प्रत्यक्ष प्रभाव स्वयं अनुभव करने लगेंगे।

### अंत में

इस लेख को युनिक तरीके से क्रमशः वाइज लिखा गया है। आज का यह कार्यक्रम आपको कैसा लगा, अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में बताएं। जिस भी सोशल प्लेटफॉर्म पर आप हमारे इस प्रोग्राम को देख रहे हैं, वहां पर अधिक से अधिक शेयर करें, लाइक करें और हमें फॉलो करना न भूलें।

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जय महाकाली, हर हर महादेव



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