आज के इस एपिसोड में आप सभी का स्वागत है। हमारे ब्लॉग और चैनल पर आपको मिलेंगे दिव्य तांत्रिक टोटके, वैदिक ज्योतिष, और लाल किताब के उपाय। इन उपायों को करके आप अपने जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याओं को पल भर में दूर कर सकते हैं। इसके लिए आपको हमारे द्वारा बताए गए उपायों को सावधानीपूर्वक करना होगा।
इंटरनेट धर्म के प्रति रुचि रखने वालों और ईश्वर में आस्था रखने वालों के लिए एक मंदिर की तरह है। इसके द्वारा हम अपनी जिज्ञासा को शांत कर ईश्वर की ओर बढ़ने का मार्ग प्राप्त करते हैं।
### आज का विषय: आकाश भैरव का साबर सुरक्षा कवच
आज के इस एपिसोड में हम आपको नाथ संप्रदाय के ग्रंथों में से आकाश भैरव के नाम से प्रसिद्ध साबर सुरक्षा कवच प्रदान करने जा रहे हैं। इस कवच का पाठ करने वाले के लिए कोई भी अनिष्ट उसे छू भी नहीं सकता। इसके प्रभाव से सभी प्रकार के ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं और सभी प्रकार के मंगल ही मंगल होते रहते हैं। तो आइए जानते हैं इस अमोध कवच के बारे में।
### शरभ शालुवा पक्षीराज कवच
यह कवच भगवान शरभराज का है। इनका विशाल विचित्र देह में पशु और पक्षी के अंगों का अनूठा संगम है। अद्भुत एवं महाविशाल पंखों के कारण इन्हें 'पक्षिराज' की संज्ञा दी गई है। भगवान शरभेश्वर समस्त देवताओं और प्राणियों को ऊर्जा प्रदान करने वाले मूल स्रोत हैं। इनकी भक्ति से साधक हर क्षेत्र में असाधारण सफलता प्राप्त करता है।
#### कवच मंत्र:
```
ॐ नमो आदेश गुरु को।
आदिमेयच स्वरूप तेजोमयाय अग्नि दंष्ट्रा करालाय श्रीशरभ शालुवाय पक्षिराजाय नव नाथाय: ओंकाराय: कृपा कराय:
थर-थर कांपे हुं हुं हुंकारे अगन: पसारे पवन चले, जल चले, चल-चल करघट पिण्ड कु रक्षा करावे,
त्रिसमय मंत्र जपे मनकी कामना पूर्ण होवे।
ॐ नमो भगवते श्रीशरभ शालुवा पक्षिराजाय नवनाथाय कोया कौन -कौन को मारे, नौ नरसिंह कु मारे,
नौं हनुमान कु मारे, 56 भैरव कु मारे, 88 सहस्रकोटि चामुण्डा कु मारे, 33 कोटि देवता कु मारे,
देवकान्ता कु मारे, नवकोटि कात्यायनी कु मारे, चन्द्र कु मारे, सूरज कु मारे, क्षेत्रपाल कु मारे,
परशुराम कु मारे, पांच पाण्डव कु मारे, अष्टकुली नागों कु मारे, तैजपाल कु मारे, अजयपाल कु मारे,
अजान्तपाल कु मारे, काल कु मारे, महाकाल कु मारे, कालचक्र कु मारे, 36 वेताल कु मारे,
एक वीस म्हैसासुर कु मारे, 64 जोगिनी कु मारे, वारा-सटव्या कु मारे, सात असरा कु मारे,
एक लाख 80 हजार वीर पैगम्बर कु मारे, नवलाख तारा कु मारे, नवग्रह कटकान ताडय-ताडय,
मारय मारय, कुमारे।
शोषय-शोषय, ज्वालय ज्वालय, हारय-हारय, सकल देवतान नाशय-नाशय, अति शोषय - शोषय,
मम सर्वत्र रक्षय-रक्षय।
ॐ खें खां खं फट् प्राण-ग्रहसि प्राण-ग्रहसि हुं फट् सर्वशत्रुसंहारणाय शरभ सालुवा पक्षिराजाय हुं फट् स्वाहा।
```
### कवच के विशेष प्रभाव:
1. **दैवी बाधा और ग्रह दोष से मुक्ति**: इस कवच का पाठ करने से सभी तरह की दैवी बाधा, ग्रह दोष, भूत-प्रेत बाधा, और शत्रु बाधा से मुक्ति मिलती है।
2. **असाधारण सफलता**: साधक हर क्षेत्र में असाधारण सफलता प्राप्त करता है।
3. **सभी प्रकार के मंगल**: कवच के प्रभाव से सभी प्रकार के मंगल ही मंगल होते रहते हैं।
### विशेष ध्यान:
- इस कवच का प्रयोग साधारण मनुष्य कदापि न करें।
- केवल मजबूत हृदय वाले साधक ही गुरु की आज्ञा से इस प्रकार के उग्र प्रयोग कर सकते हैं।
### अंत में:
आज का यह कार्यक्रम आपको कैसे लगा, अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में बताएं। जिस भी सोशल प्लेटफॉर्म पर आप हमारे इस प्रोग्राम को देख रहे हैं, वहाँ पर अधिक से अधिक शेयर करें, लाइक करें और हमें फॉलो करना न भूलें।
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जय महाकाली, हर हर महादेव!
नमस्कार मैं हूं पंडित नरेश नाथ आज के इस एपिसोड में आप सभी का स्वागत है आपको हमारे ब्लॉक पर हमारे चैनल पर मिलेंगे इसे दिव्या तांत्रिक टोटके वैदिक ज्योतिष लाल किताब के उपाय जिनको कर आप अपने जीवन में आ रही सभी प्रकार की समस्याओं को पल भर में दूर कर सकते हो इसके लिए आपको हमारे द्वारा बताए गए उपायों को सावधानीपूर्वक करना होगा इंटरनेट धर्म के प्रति रुचि रखने वालों के लिए तथा ईश्वर में आस्था रखने वालों के लिए एक मंदिर की तरह है जिसके द्वारा हम अपनी जिज्ञासा को शांत कर ईश्वर की ओर बढ़ने का मार्ग प्राप्त करते है आज के इस एपिसोड में हम आपको नाथ संप्रदाय के ग्रंथों में से आकाश भैरव के नाम से प्रसिद्ध साबर सुरक्षा कवच प्रदान करने जा रहे हैं इसके बारे में कुछ भी कहना छोटा मुंह बड़ी बात होगी एक कवच का पाठ करने वाले पाठक के लिए कुछ भी दुर्लभ नहीं रह जाता कोई भी अनिष्ट उसे छू भी नहीं सकता इसके प्रभाव से सभी प्रकार के ग्रह दोष भी दूर हो जाते हैं और सभी प्रकार के मंगल ही मंगल होते रहते हैं तू कोई तो परमदुर्भग्यशाली ही होगा जो इस सुख के मूल को ना प्राप्त करना चाहेंगा , तो आइए जानते हैं इस आमोद वर देने वाले कवच के बारे में
अमोध शरभशालुवाय शाबर कवच आकाशभैरव का यह एक ऐसा दिव्य सुरक्षित अभेध्य कवच है जिसका भेदन ब्रह्माण्ड की कोई भी शक्ति नहीं कर सकती, यहींं यह दुर्लभ सुरक्षा कवच विश्व की सभी महाशक्तियों को भेद कर अपने उपासक को पूर्णसुरक्षा देता है।
महादेव के अनेका अनेक दिव्यावतारों में से यह अत्यन्त उग्र, क्रोधयुक्त तथा देखने में विचित्र अवतार भगवान् ‘शरभराज' हैं । इनका विशाल विचित्र देह में पशु और पक्षि के विराट अंगों का अनुठा संघम है। अद्भुत एवं महाविशाल पंखों के कारण इन्हें 'पक्षिराज' की संज्ञा भी दी गई है। भगवान् शरभेश्वर समस्त देवताओं और प्राणियों को ऊर्जा प्रदान करने वाले मूलस्रोत हैं।
इनकी भक्ति से प्राप्त महाफल का शब्दों में , व्याख्या नहीं की जा सकता है। थोडे में कहें तो इनका साधक हर क्षेत्र में असाधारण सफलता प्राप्त करता है कुछ-एक परम सौभाग्यशाली को अति शीघ्र सिद्धि मिल जाती है
नियमपूर्वक इस शाबर मंत्रमय कवच का पाठ करने से सभी तरह की दैवीकबाधा, ग्रह दोष भूतप्रेतबाधा, शत्रुबाधा आदि महासंकट से अतिशीघ्र मुक्त होता है। स्वयं देवता भी कवच के साधक के तेज का सामना नहीं कर पाते , तो फिर मनुष्य जैसा साधारण जीव की तो बात ही कन्या है |
विशेष प्रभाव के लिये इससे कवच मंत्र को नियमपूर्वक निश्चित संख्या में पाठ से विशेष प्रभावित दिखलाई देता है इस उग्र कवच का प्रयोग साधारण मनुष्य कदापि न करे। केवल मजबूत, हृदय वाला साधक ही गुरु आआज्ञा से इस प्रकार के उग्र प्रयोगों कर सकते हैं।
शरभ सालुवा पक्षीराज कवच -
ॐ नमो आदेश गुरु को । आदिमेयच स्वरूप तेजोमयाय अग्नि दंष्ट्रा करालाय श्रीशरभ शालुवाय पक्षिराजाय नव नाथाय: ओंकाराय: कृपा कराय: थर-थर कांपे हुं हुं हुंकारे अगन: पसारे पवन चले, जल चले, चल-चल करघट पिण्ड कु रक्षा करावे, त्रिसमय मंत्र जपे मनकी कामना पूर्ण होवे ।
ॐ नमो भगवते श्रीशरभ शालुवा पक्षिराजाय नवनाथाय कोया कौन -कौन को मारे, नौ नरसिंह कु मारे, नौं हनुमान कु मारे, 56 भैरव कु मारे, 88 सहस्रकोटि चामुण्डा कु मारे, 33 कोटि देवता कु मारे, देवकान्ता कु मारे, नवकोटि कात्यायनी कु मारे, चन्द्र कु मारे, सूरज कु मारे, क्षेत्रपाल कु मारे, परशुराम कु मारे, पांच पाण्डव कु मारे, अष्टकुली नागों कु मारे, तैजपाल कु मारे, अजयपाल कु मारे, अजान्तपाल कु मारे, काल कु मारे, महाकाल कु मारे, कालचक्र कु मारे, 36 वेताल कु मारे, एक वीस म्हैसासुर कु मारे, 64 जोगिनी कु मारे, वारा-सटव्या कु मारे, सात असरा कु मारे, एक लाख 80 हजार वीर पैगम्बर कु मारे, नवलाख तारा कु मारे, नवग्रह कटकान ताडय-ताडय, मारय मारय, कुमारे। शोषय-शोषय, ज्वालय ज्वालय, हारय-हारय, सकल देवतान नाशय-नाशय, अति शोषय - शोषय, मम सर्वत्र रक्षय-रक्षय। ॐ खें खां खं फट् प्राण-ग्रहसि प्राण- ग्रहसि हुं फट् सर्वशत्रुसंहारणाय शरभ सालुवा पक्षिराजाय हुं फट् स्वाहा ।
ॐ नमो भगवते श्री शरभ शालुवाय पक्षिराजाय नव नाथाय स्वर्गलोक को बांधु, मृत्युलोक को बांधु, 9लाख कुण्ड को बांधु, नौलाख द्वार को बांधु, नवलाख खैर को बांधु, 4 चक्र को बांधु, 14 भुवन को बांधु, 60 संवत्सर को बांधु, दोनों अयन को बांधु, छ: ऋतु को बांधु, 12 माह को बांधु, दोनोें पक्ष को बांधु, पन्द्रह तिथि को बांधु, 28 नक्षत्र को बांधु,27 योग को बांधु, ग्यारह करण को बांधु, सातों वार को बांधु, दिन को बांधु, रात को बांधु, 12राशि को बांधु, 12 संक्रमण को बांधु, 12 लग्न को बांधु, बन्धय बन्धय, छेदय-छेदय, ताडय-ताडय, मारय मारय, शोषय-शोषय, ज्वालय-ज्वालय, हारय-हारय, नाशय-नाशय, मम सर्वत्र रक्षय-रक्षय ॐ र्खे खां खं फट् प्राण- ग्रहसि प्राण- ग्रहसि हुं फट् सर्वशत्रुसंहारणाय शरभशालुवाय पक्षिराजाय हुं फट् स्वाहा।
ॐ नमो भगवते श्री शरभ सालुव पक्षिराजाय नवनाथाय पाशुपतास्त्र को बांधु, नारायणास्त्र को बांधु, ब्रह्मास्त्र को बांधु, वडवानलास्त्र को बांधु, वैष्णवास्त्र को बांधु, शक्तिास्त्र को बांधु, अघोरास्त्र को बांधु, प्रजन्यास्त्र को बांधु, वातास्त्र को बांधु, पर्वतास्त्र को बांधु, गरुडास्त्र को बांधु, सर्पास्त्र को बांधु, मारणास्त्र को बांधु, आग्नेयास्त्र को बांधु, यमास्त्र को बांधु, मोहन अस्त्र को बांधु, वशीकरण अस्त्र को बांधु, स्तम्भन अस्त्र को बांधु, जृम्भणास्त्र को बांधु, आकर्षण अस्त्र को बांधु, उच्चाटन अस्त्र को बांधु, गदास्त्र को बांधु, त्रिशूलास्त्र को बांधु, पाशास्त्र को बांधु, खेटकास्त्र को बांधु, तोमरास्त्र को बांधु, सकल मंत्रास्त्र को बांधु, निवारय निवारय, मृडाय-मृडाय, ज्वालय ज्वालय, नाशय-नाशय, मम सर्वत्र रक्षय-रक्षय । ॐ खें खां खं फट् प्राण-ग्रहसि प्राण- ग्रहसि हुं फट् सर्वशत्रुसंहारणाय शरभशालुवाय पक्षिराजाय हुं फट् स्वाहा।
तोआज का यह कार्यक्रम आपको कैसे लगा अपने विचार कॉमेंट बॉक्स के द्वारा वैसे ही बताएं जिस भी सोशल प्लेटफॉर्म पर आप हमारे इस प्रोग्राम को देख रहे हैं वहां पर अधिक से अधिक
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Hello, I am Pandit Naresh Nath, in today's episode, all of you are welcome, you will find on our channel on our block, Divya Tantrik Totke Vedic Astrology Lal Kitab Remedies, by which you can solve all kinds of problems in your life in a jiffy. For this, you have to carefully follow the measures mentioned by us. Internet is like a temple for those interested in religion and for those who have faith in God, through which we can calm our curiosity and move towards God. In today's episode, we are going to provide you the famous Sabar Suraksha Kavach named as Akash Bhairav from the scriptures of Nath Sampraday. Nothing remains rare for him, no evil can even touch him, due to its effect, all kinds of planetary defects also go away and all kinds of auspicious things remain auspicious. If you don't want to get someone, then let's know about this boon giver about le armor
Amodh Sharabhshaluvay Shabar Kavach This is such a divine safe impenetrable armor of Akashbhairav which cannot be penetrated by any power of the universe, whereas this rare protective armor penetrates all the superpowers of the world and gives complete protection to its worshipper.
Out of the many divine incarnations of Mahadev, this very fierce, wrathful and strange looking incarnation is Lord 'Sharabraj'. There is a unique confluence of animal and bird's huge organs in their huge bizarre body. Due to the wonderful and huge wings, he has also been given the noun of 'Pakshiraj'. Lord Sharbheshwar is the source of energy for all the deities and creatures.
The great fruit obtained from his devotion cannot be explained in words. In short, its seeker achieves extraordinary success in every field, some extremely lucky ones get success very quickly.
By regularly reciting this Shabar Mantraya Kavach, one gets rid of all kinds of divine obstacles, planetary defects, ghosts, enemy obstacles etc. very quickly. Even the deities themselves cannot face the glory of the seeker of the Kavach, then it is a matter of a simple creature like a human being.
For a special effect, this Kavach mantra appears to be specially affected by reciting it in a fixed number of times. Ordinary people should never use this fiery Kavach. Only a strong, hearted seeker can do such extreme experiments with the permission of the Guru.
Sharabh Saluva Pakshiraj Kavach -
Om Namo Adesh Guru. Adimeyach Swaroop Tejomayaya Agni Dashtra Karalaya Shrisharabh Shaluvay Pakshirajaya Nava Nathay: Omkaraya: Kripa Karaya: I am trembling and humming fire: let the wind spread, let the water go, let the body be protected by chanting the three-time mantra.
Om Namo Bhagwate Shri Sharabh Shaluva Pakshirajaya Navnathaya Koya who killed, killed nine Narasimha, killed nine Hanuman, killed 56 Bhairavs, killed 88 thousands of Chamundas, killed 33 crore gods, killed Devkanta, killed Navakoti Katyayani, Killed Chandra, killed Suraj, killed Kshetrapal, killed Parshuram, killed five Pandavas, killed Ashtakuli snakes, killed Taijpal, killed Ajaypal, killed Ajantpal, killed Kaal, killed Mahakal, killed Kalachakra, 36 Vetals were killed, twenty Mhaisasurs were killed, 64 Joginis were killed, Vara-Satvya were killed, seven Asaras were killed, one lakh 80 thousand brave prophets were killed, Navlakh Tara was killed, Navagraha Katakan Taday-Taday, Maray Maray, Kumare. Shoshay-Shoshay, Jwalay Jwalay, Haray-Haray, Sakal Devatana Nashay-Nashay, Extreme Shoshay-Shoshay, Mum everywhere Rakshay-Rakshay. Om khen khan kham phat pran-grahasi pran-grahasi hum phat sarvashatrusanharanaya sharabh saluva pakshirajaya hum phat swaha
Om Namo Bhagavate Shri Sharabh Shaluvay Pakshirajaya Nava Nathay Bind the heaven, bind the death world, bind the 9 lakh kund, bind the naulakh door, bind the navalakh khair, bind the 4 chakras, bind the 14 Bhuvan, bind the 60 Samvatsaras, bind both Ayans Bind, bind six seasons, bind 12 months, bind both sides, bind fifteen dates, bind 28 constellations, bind 27 yoga, bind eleven karanas, bind seven times, bind day, bind night , Bind 12 signs, Bind 12 transitions, Bind 12 ascendants, Bandhay Bandhay, Chheday-Chheday, Taday-Taday, Maray Maray, Shoshay-Shoshay, Jwalay-Jwalay, Haray-Haray, Nashay-Nashay, Mam Sarvatra Rakshay-Rakshay Om Rkhe Khan Khan Phat Pran- Grahasi Pran- Grahasi Hu Phat Sarvashatrusanharanay Sharabshaluvay Pakshirajay Hu Phat Swaha.
Om Namo Bhagwate Shri Sharabha Saluva Pakshirajaya Navnathaya Bind the Pashupatastra, Bind the Narayanastra, Bind the Brahmastra, Bind the Vadavanalastra, Bind the Vaishnavastra, Bind the Shaktyastra, Bind the Aghorastra, Bind the Prajanyastra, Bind the Vatastra, Bind the Parvatastra, Bind the Garudastra Bind, Bind the snake weapon, Bind the Maranastra, Bind the fire weapon, Bind the Yamastra, Bind the Mohan astra, Bind the vashikaran astra, Bind the Stambhan astra, Bind the Jrimbhanastra, Bind the attraction weapon, Bind the Ucchatan astra, Bind the gadastra , Bind the Trishulastra, Bind the Pashastra, Bind the Khetkastra, Bind the Tomarastra, Bind the Sakal Mantrastra, nivaraya nivaraya, mridaya-mridaya, jwalaya jwalaya,
.Hara-haray, nashay-nashay, mama sarvatra rakshaya-rakshay Om rakhe khan kham phat prana-grahasi prana-grahasi hun fat sarvashatrusanharanaya srabhshaluvaya pakshirajaya hun fat swaha.
Om Namo Bhagwate Shri Sharabha Saluva Pakshirajaya Navnathaya Bind the Pashupatastra, Bind the Narayanastra, Bind the Brahmastra, Bind the Vadavanalastra, Bind the Vaishnavastra, Bind the Shaktyastra, Bind the Aghorastra, Bind the Prajanyastra, Bind the Vatastra, Bind the Parvatastra, Bind the Garudastra Bind, Bind the snake weapon, Bind the Maranastra, Bind the fire weapon, Bind the Yamastra, Bind the Mohan astra, Bind the vashikaran astra, Bind the Stambhan astra, Bind the Jrimbhanastra, Bind the attraction weapon, Bind the Ucchatan astra, Bind the gadastra , Bind the Trishulastra, Bind the Paashastra, Bind the Khetkastra, Bind the Tomarastra, Bind the Sakal Mantrastra, nivaraya nivaraya, mridaya-mridaya, Jwalaya Jwalaya, Nashay-Nashay, Mam sarvatra rakshaya-rakshaya. ॐ खें खां खं फत प्रण-ग्रहसि प्रण-ग्रहसि हुं फत सर्वशत्रुसंहारणाय शरभशालुवाय पक्षीरजय हुं फट स्वाहा।
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