### रामायण का नवाह्न-पारायण
रामायण का पाठ हमारे जीवन में विशेष महत्व रखता है। इसके नियमित पाठ से न केवल बुद्धि विक्सित होती है, बल्कि यह हमारे जीवन के अनेक पहलुओं में सुधार लाता है। यहाँ पर नवाह्न-पारायण से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु दिए जा रहे हैं:
#### 1. सूआ-सूतक के समय
**सूआ-सूतक (शोक या अशुभ घटनाओं का समय)**: नवाह्न-पारायण आरम्भ होने पर यदि सूआ-सूतक हो जाता है, तो इससे कोई दोष नहीं लगता। इसका अर्थ है कि आप शोक या अशुभ घटनाओं के दौरान भी रामायण का पाठ कर सकते हैं और इससे पाठ की शुद्धता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
#### 2. बुद्धि का विकास
**विद्यार्थियों के लिए लाभ**: रामायण का पाठ करने से बुद्धि विक्सित होती है। नवाह्न-पारायण करने वाला विद्यार्थी कभी फेल नहीं होता। इसका कारण यह है कि रामायण का नियमित पाठ मन और मस्तिष्क को शांत और केंद्रित करता है, जिससे पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ती है।
#### 3. स्वास्थ्य के मुद्दे
**कष्ट में पाठ**: यदि किसी को कमरदर्द आदि के कारण लेटकर रामायण का पाठ करना पड़े, तो यह भी स्वीकार्य है। यहां मुख्य बात भाव की होती है, न कि शरीर की स्थिति। यदि आपके मन में रामायण का पाठ करने की भावना है, तो आप किसी भी स्थिति में इसे कर सकते हैं।
#### 4. पुस्तक का सम्मान
**पुस्तक का सम्मान**: रामायण या किसी भी पवित्र ग्रंथ को उल्टा नहीं रखना चाहिए, इससे उसका निरादर होता है। सभी वस्तुएँ भगवत्स्वरूप हैं, इसलिए उनका आदर करना चाहिए। किसी भी आदरणीय वास्तु का निरादर करने से वह वास्तु नष्ट हो सकती है या उसमें विकृति आ सकती है। यह अनुभव सिद्ध है कि सम्मानित वस्तुओं के प्रति आदरभाव रखना चाहिए।
### गुरु वंदना
**गुरु का महत्व**:
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गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु, गुरुर देवो महेश्वरः,
गुरुर साक्षात परम ब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः।
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इस मंत्र के माध्यम से हम गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश्वर के समान मानते हैं और उनके प्रति अपने श्रद्धा और समर्पण को प्रकट करते हैं। गुरु की कृपा से ही ज्ञान प्राप्त होता है और जीवन में सही मार्गदर्शन मिलता है।
#### निष्कर्ष
रामायण का पाठ एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली साधना है, जो हमारे जीवन में ज्ञान, शांति और सफलता लाती है। इसके नियमित पाठ से न केवल हमारी बुद्धि और एकाग्रता में वृद्धि होती है, बल्कि यह हमारे आध्यात्मिक जीवन को भी समृद्ध बनाता है। रामायण का पाठ किसी भी परिस्थिति में किया जा सकता है, और इसका आदर करना हमारी जिम्मेदारी है।
**शिवगुरू चरण कमलेभ्यों नमः
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