Friday, 19 July 2024

गणेश जी के दुर्लभ पंचबाण मंत्र**

  गणेश जी के दुर्लभ पंचबाण मंत्र**

**मंत्र:**

1. ॐ*गुरुजी*समरुं*गुणपति*साधूं*लाण*डाकण*मांरु*चार *सिकोत्तरे*पाए*लगाडूँ,*गुणपति"राजा*घोडे*चडीयां*भूत *पलित*में*विघन*हमेशा*होंकारा*पिछा*फरे*माई*पार्वती *जी*का*दुध*हराम*करे।

2. ॐ गुरुजी गुणेश बोले भोले, सवा सैर लाडू खावे, होंकारा सो कोस जावे हमेशा होंकारा, पिछा फरे तो माई पार्वती जी का दुध हराम करे।

3. ॐ गुरुजी बोडोया वीर! तुं*बोलीया*वीर,*जब*जग*तारी *सेवा*करुं*लीला*थई*शिर*धरुं,*माथे*मांडु*पिला*गसाण *मांथी*मुठी*करुं*कहोने*संतो*राम*राम।

4. ॐ गुरुजी तम गणेश गोरी का पुत, ज्यां समरुं त्या आयो जीत, तमारा पिता ईश्वर महादेव, साची तमारी सेवा करुं, हमेश कामे पधारो लाडु, सिन्दुरनी पडी लविंग सुपारी पान बिडूं, श्री गणपती उर मां धरुं।

5. ॐ गुरुजी, सोधबाई से चला आय, राजा प्रजा लागे पाई, वाटे घाटे न मारी ओजवाई, ज्यां समरुं त्या आगेवान।

**विधि:**

गणेश चतुर्थी को लाल लंगोट पहनकर गणपति जी की मूर्ति को अक्षत और दुर्वा के ऊपर रखें। फिर दूध, दही और जल से क्रमवार स्नान कराएं। स्नान करवाते समय "ॐ गुरुजी गं गणपतये नमः ह्रीं गं गणपतये नमः" मंत्र का पाठ करें। स्नान के पश्चात सिंदूर लगाएं, गुड़हल का पुष्प चढ़ाएं, चूरमे के लड्डू का नैवेद्य और पान का बीड़ा, लौंग, सुपारी, दक्षिणा (रुपये/पैसे) सम्मुख रखें। गुग्गुल की धूप देकर आरती करें।

आरती के पश्चात पांचों बाण मंत्र का जाप करें। पांच माला जाप के पश्चात चूरमे के लड्डू का भोग स्वयं लगाएं। शेष सारी सामग्री भूमि में गाड़ दें। आसन के ऊपर के अक्षत संभालकर रखें। इच्छित कार्य में लाते समय गुग्गुल की धूप देकर पांचों बाणों का पांच बार जाप करें और अक्षत में चिंतन करें। कार्य अवश्य पूर्ण होगा।

**ॐ सिद्धाय**

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इस विशेष शैली में पंचबाण मंत्र और विधि को प्रस्तुत किया गया है, जिससे यह और अधिक स्पष्ट और प्रभावशाली हो।




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