Wednesday, 17 July 2024

घर के प्रेत-ब्रह्मदेव साधना: विधि और प्रयोग

घर के प्रेत-ब्रह्मदेव साधना: विधि और प्रयोग

यह लेख घर के किसी प्रेत-ब्रह्मदेव की साधना के बारे में है, जो कि एक शक्तिशाली अनुष्ठान माना जाता है।

यह माना जाता है कि इस साधना से साधक अपने घर के प्रेत-ब्रह्मदेव को वश में कर सकता है और उनसे कार्य करवा सकता है।

ध्यान दें:

  • यह लेख केवल जानकारी के लिए है। किसी भी प्रकार की तांत्रिक समस्या के लिए किसी योग्य गुरु या विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
  • यह साधना केवल अनुभवी और योग्य व्यक्तियों द्वारा ही की जानी चाहिए।
  • साधना शुरू करने से पहले किसी गुरु से आज्ञा लेना आवश्यक है।

साधना के नियम:

  • यह साधना किसी भी पूर्णिमा या अमावस्या को करनी चाहिए।
  • साधक को कम से कम 5 या 7 दिन तक लगातार साधना करनी चाहिए।
  • इस साधना में माला की आवश्यकता नहीं होती है।

सामग्री:

  • एक छोटा पीपल का पौधा
  • रूद्राक्ष की माला
  • जनेऊ
  • 5 कपड़े
  • चंदन का टीका
  • दूध की मिठाई
  • कच्चा दूध
  • पानी

विधि:

  1. सबसे पहले, अपने घर में एक छोटा पीपल का पौधा लगा लें।
  2. पूर्णिमा या अमावस्या के दिन शाम को 6 बजे पूजन करें।
  3. पूजन में निम्नलिखित सामग्री अर्पित करें:
    • रूद्राक्ष की माला
    • जनेऊ
    • 5 कपड़े
    • चंदन का टीका
    • दूध की मिठाई
  4. कच्चे दूध में पानी मिलाकर "ॐ सर्वपित्रदेवाय नमो नमः" मंत्र का 7 बार जाप करके सभी पितरों का आवाहन करें।
  5. फिर, अपने मैन देव (घर के मुख्य पितर) का आवाहन करें।
  6. रात 11 बजे या सुबह 4 बजे से "ॐ ब्रह्मस्वरूपाय नमो नमः" मंत्र का 3 घंटे तक जाप करें।
  7. दक्षिण मुख होकर प्रेत-ब्रह्मदेव को स्थान दें और उनके दर्शन की प्रार्थना करें।
  8. मंत्र का मानसिक जाप करते हुए ध्यान करें।
  9. यदि प्रेत-ब्रह्मदेव दर्शन दें तो उनसे 3 वचन लें।
  10. मंत्र जप के समय होने वाले किसी भी अनुभव से डरें नहीं।

यह साधना अत्यंत शक्तिशाली है और इसे सावधानी से करना चाहिए।

यह लेख आपको कैसा लगा? कृपया अपनी प्रतिक्रियाएं और सुझाव कमेंट में अवश्य लिखें।

धन्यवाद!

अतिरिक्त जानकारी:

  • यह साधना केवल शुद्ध मन और सच्ची श्रद्धा से ही करनी चाहिए।
  • साधक को धैर्य रखना चाहिए और नियमित रूप से अभ्यास करना चाहिए।
  • यदि आपको कोई संदेह है, तो किसी योग्य गुरु से सलाह लें।

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धन्यवाद!





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