**ऊँ नमो आदेश आदेश गुरु जी को।** मैं आपका दोस्त पंडित नरेश नाथ, आज आपको बता रहा हूँ वास्तु और ज्योतिष का वैवाहिक सुख में महत्वपूर्ण योगदान।
**विशेष नोट:** यदि आपके आस-पास कोई दवाइयों से तंग आ चुका है, तो कृपया हमारा नंबर दें। सुबह 10-11 बजे के बीच फोन करें। सेवा नि:शुल्क है, माँ की कृपा से दुख दूर हो सकते हैं।
वैवाहिक जीवन में दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पूर्व, और दक्षिण-पश्चिम दिशाओं में दोष परेशानियों का कारण बनते हैं।
**दक्षिण-पूर्व कोण का महत्व:**
1. **गड्ढा होना:** अग्नि तत्व की कमी, घर की महिलाओं में घूमने की प्रवृत्ति, और क्लेश।
2. **बोरिंग होना:** अग्नि और जल तत्व का मेल, परिवार में झगड़े और खर्च।
3. **कोण का बढ़ना:** झगड़े, मुकदमे, पति-पत्नी के बीच अशांति।
**उपाय:**
1. दक्षिण-पूर्व#के*गड्ढों*को*भरकर*उत्तर-पूर्व*से*ऊँचा *करें*और*मारूति*यंत्र*स्थापित*करें।
2. काले रंग की गाय पालें या उसे दही-चीनी डालकर आटे का पेड़ा खिलाएं।
3. हमेशा साफ कपड़े पहनें और परफ्यूम लगाएं।
4. केतु ग्रह का उपाय करें, जैसे कि नींबू और केले बहते पानी में बहाएं।
**ज्योतिष विधान:**
12वें और 7वें घर का मेल वैवाहिक सुख में महत्वपूर्ण है। दक्षिण-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम कोण का ध्यान रखें। राहु या अन्य पाप ग्रह की स्थिति इस सुख में बाधा डाल सकती है।
**उत्तर-पश्चिम कोण:**
चंद्रमा के कारण यह कोण महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मन का कारक ग्रह है। शादी और शुभ कार्यों में चंद्रमा का मिलान आवश्यक है।
**नोट:** अगर आपकी ज्योतिष वस्तु तंत्र की कोई समस्या है या आप दवाइयों से थक चुके हैं, सुबह 10-11 बजे के बीच हमें फोन करें या व्हाट्सएप पर मैसेज करें। माँ काली की कृपा से आपको लाभ अवश्य होगा।
**संपर्क करें:**
- **शिव वैदिक ज्योतिष विज्ञान**
- **09317666790**
- **shivyotish9@gmail.com**
जय महाकाली!
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