**ऊँ नमो आदेश आदेश गुरु जी को।** मैं आपका दोस्त पंडित नरेश नाथ, आज आपको बता रहा हूँ अठारह प्रकार के प्रमुख पापों के बारे में।
**विशेष नोट:** यदि आप उपाय करके थक चुके हैं और अब कोई राहत नहीं मिल रही, तो महाकाली की कृपा से आपके दुख दूर हो सकते हैं। छोटी-बड़ी माता (खसरा), पीलिया, बुखार या शरीर दर्द हो तो हमें सुबह 10-11 बजे के बीच फोन करें।
**अठारह पाप इस प्रकार हैं:**
1. **प्राणिपात:** जीव हिंसा
2. **मृषावाद:** झूठ बोलना
3. **अदत्तादान:** चोरी करना
4. **मैथुन:** ब्रह्मचर्य का उल्लंघन
5. **परिग्रह:** संग्रह करना
6. **क्रोध:** गुस्सा (Anger)
7. **मान:** घमंड (Pride & Ego)
8. **माया:** छल कपट
9. **लोभ:** लालच
10. **राग:** किसी के प्रति आकर्षण
11. **द्वेष:** किसी के प्रति वैर भाव
12. **कलह:** क्लेश करना
13. **अभ्याख्यान:** कलंक लगाना
14. **पैशुन्य:** चुगली करना, दूसरों के दोष प्रकट करना
15. **पर परिवाद:** दूसरों की निंदा करना
16. **रात्रि-अरात्रि:** बुरे कार्यों में लगे रहना, धर्म में मन नहीं लगाना
17. **माया मृषावाद:** कपट रखकर झूठ बोलना
18. **मिथ्यात्व दर्शन शल्य:** गलत श्रद्धा रखना
इन पापों से बचने के लिए हमें इन्हें समझना चाहिए और मन में इन्हें कम करने का प्रयत्न करना चाहिए। हर काम विवेकपूर्वक करना जरूरी है, जिससे आधे पाप बंद हो जाते हैं। बाकी पापों के लिए हमें अपने मन को सरल बनाना चाहिए। यह मुश्किल है, पर नामुमकिन नहीं।
**अगर आपकी ज्योतिष, वस्तु तंत्र, या किसी भी समस्या का समाधान चाहिए, तो हमें सुबह 10-11 बजे के बीच फोन करें या व्हाट्सऐप पर मैसेज करें। असंभव कुछ नहीं, बस विश्वास होना चाहिए।**
**संपर्क करें:**
- **शिव वैदिक ज्योतिष विज्ञान**
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**जय महाकाली!**
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