यहाँ पर आपके द्वारा दी गई विधि को विशेष शैली में प्रस्तुत किया गया है:
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**ॐ नमो**
**कोटि वज्र पर शिला**,
**तापर बैठे शोषा वीर**,
**ताके साथ नवनाथ बैठे**,
**चौरासी सिद्ध बैठे**,
**ठ: ठ: ठ: ह्रीं ह्रीं**
**आगच्छ मत्- समिप्य त्वरमान्य**
**त्रैलोक्य पर्यन्तान भूतानामकान शिघ्र मानय**
**हुं फट प: प:**
किसी शुभ दिवस में तीर्थ स्थान में जाकर १०८ बार जाप करें, काले ऊन की बनी माला पर। तत्पश्चात रात्रि में १०८ जाप करें। जप के आदि और अंत में *तीर्थ*की*बलि*प्रदान*करें।*दक्षांस*होम*करें*तो*सिद्धी*प्राप्त*होगी।*यहाँ*पर*आपके *द्वारा*दी*गई*विधि*को*विशेष*शैली*में*प्रस्तुत*किया*गया*है:
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**ॐ नमो**
**कोटि वज्र पर शिला**,
**तापर बैठे शोषा वीर**,
**ताके साथ नवनाथ बैठे**,
**चौरासी सिद्ध बैठे**,
**ठ: ठ: ठ: ह्रीं ह्रीं**
**आगच्छ मत्- समिप्य त्वरमान्य**
**त्रैलोक्य पर्यन्तान भूतानामकान शिघ्र मानय**
**हुं फट प: प:**
किसी शुभ दिवस में तीर्थ स्थान में जाकर १०८ बार जाप करें, काले ऊन की बनी माला पर। तत्पश्चात रात्रि में १०८ जाप करें। जप के आदि और अंत में*तीर्थ*की*बलि"प्रदान*करें। *दक्षांस*होम*करें"तो*सिद्धी"प्राप्त"होगी।*सिद्धी*उपरांत *संकल्प*करके सात दिनों तक उक्त विधि से सिद्ध मंत्र का जाप करें। कार्य पूर्ण होगा और उच्च से उच्च अधिकारी वशीभूत होगा। यदि चौदह दिवस जाप करें विधि अनुसार, तो सकल मनोरथ पूर्ण होगा।
**हवन सामग्री:**
- विभीतक
- धतुरे के फल
- चिन्चणी या सिहोर के पत्ते
- कपिथ्य या कैथे का गूदा
इनमें से किसी एक के साथ गाय का घी मिलाकर हवन करें।
**विशेष:**
यदि १००० या १०,००० की संख्या में प्रतिदिन जाप करें और दक्षांश आहुति करें, तो अधिकाधिक कार्य सफल होंगे। सावधानी हितकारी कार्य करें। यदि गलत कार्य हेतु प्रयोग करेंगे तो तुरंत ही स्वयं का उल्टा हो जाएगा।
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इस विशेष शैली में मंत्र और विधि को लिखा गया है, जो उसकी अद्वितीयता को बनाए रखता है। उपरांत संकल्प करके सात दिनों तक उक्त विधि से सिद्ध मंत्र का जाप करें। कार्य पूर्ण होगा और उच्च से उच्च अधिकारी वशीभूत होगा। यदि चौदह दिवस जाप करें विधि अनुसार, तो सकल मनोरथ पूर्ण होगा।
**हवन सामग्री:**
- विभीतक
- धतुरे के फल
- चिन्चणी या सिहोर के पत्ते
- कपिथ्य या कैथे का गूदा
इनमें से किसी एक के साथ गाय का घी मिलाकर हवन करें।
**विशेष:**
यदि १००० या १०,००० की संख्या में प्रतिदिन जाप करें और दक्षांश आहुति करें, तो अधिकाधिक कार्य सफल होंगे। सावधानी हितकारी कार्य करें। यदि गलत कार्य हेतु प्रयोग करेंगे तो तुरंत ही स्वयं का उल्टा हो जाएगा।
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इस विशेष शैली में मंत्र और विधि को लिखा गया है, जो उसकी अद्वितीयता को बनाए रखता है।
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