चालीसा क्या होती है यह आज आपने दर्शकों को बताएंगे कई बार हम कुछ चीजें कर भी रहे होते है जैसे पूजा हमें पता नहीं होता
अगर चालीसा पढ़ते है तो कितने दिनों में सिद्ध होती है किस नियम के साथ करना चाहिए अलग-अलग चालीसा जैसे शिव चालीसा होता है दुर्गा चालीसा हनुमान चालीसा तो उसके बारे में हम विस्तार से हमारे दर्शकों को बताएंगे और उसके क्या लाभ होते हैं क्या अलग-अलग चालीसा को परपस सकते है या उसके अलग-अलग लाभ होते हैं अवश्य जैसे देवता हैं जो देवता का स्वभाव है उसी के अनुरूप देवता फल देते हैं
जो भी चालीसा पढ़ेंगे सबका यह फिक्स है जैसा बताया गया है सिद्ध होने के लिए 11 11 बार 40 दिन करना है हां अब यह आपके पात्रता के ऊपर डिपेंड हैं
यह 40 दिन उन लोगों के लिए है जो लोग भक्ति भाव से और पूर्ण रूपे आस्थावान श्रद्धावन होकर के अपने खानपान को सुचिता पवित्रता के साथ रखते हुए और 40 दिनों तक अपने को अनुष्ठान मानते हुए करेंगे तो उनका 40 दिनों में सिद्ध हो जाएगा जी लेकिन 40 दिनों तक चालीसा पढ़ते हुए और कुकर्म करते रहिए झूठ बोलते रहिए खानपान अपना अशुद्ध रखिए गलत कार्य करते रहिए तो 40 नहीं 400 दिनों में चालीसा सिद्ध नहीं हो सिद्ध नहीं होगा
आपको मूल मंत्र तो बता दूं किए यह एक ही मंत्र है जिसको सिद्ध नहीं करना पड़ता अब मैं भी जाने के लिए इच्छुक हूं देखो दुर्गा कल्पद्रुम में लिखा हुआ हैं
मैंने बता दिया मैं बताने वाला तो नहीं था दुर्गा कल्पद्रुम स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है नवार्ण मंत्र के बारे में सिद्धि असि नास्ति दुर्गा कल्पद्रुम में लिखा हुआ है कि नवार्ण मंत्र के सिद्धि और असि के बारे में विचार नहीं करना चाहिए क्योंकि यह अपने आप में स्वयं में सिद्ध है
यह अपने आप में स्वयं में सिद्ध है और पहले दिन से ही इसका जाप करने से इसका फल मिलने लगता है इसका फल मिलने में एक से दो दिन नहीं लगता है इसका फल का मतलब कि एक बार आपने कहा तो फल मिलना शुरू लेकिन इसके करने की कुछ विधा है जैसे इसके करने की विधा यह है कि सबसे पहले इस मंत्र की शुरुआत करने के पहले नाभि बराबर जल में गंगा जी में यमुना जी में नर्मदा जी में किसी पवित्र नदी में खड़े होकर के 108 बार इस मंत्र का जप किया जाता है
ओमम ह्रीम क्लीम चामुंडा विच्चे नमः फिर कपड़ा पहन कर के पीपल के पेड़ के नीचे पूर्व मुह करके आसन पर बैठ कर के एक माला जप वहां किया जाता हैं
फिर उसके बाद किसी शिवालय में जहां प्राण प्रतिष्ठित शिवलिंग हो वहां उत्तर दिशा में मुंह करके शिवालय में बैठकर एक माला जप किया जाता है और उसके के बाद अपने आवास पर जाकर के अपने पूजा स्थान में बैठ कर के सात माला जप अपने पूजा स्थान में किया जाता है
यह 10 माला जप कर लेने के बाद अब आप पूर्ण रूपे इस मंत्र का प्रयोग करने के लायक हो गए और यह मंत्र सिद्ध हो गया इसके बाद आप अपने घर में सुबह शाम जब भी समय पाते हैं इस मंत्र का जप करें इस मंत्र में बहुत से 10 प्रकार के दोष होते हैं
10 दोष होते हैं जैसे क्या मृत होता है नग्न होता है सुप्त होता है वृथा होता है हत होता है भुजंग होता है कलित होता है यह 10 दोष मंत्र के होते हैं जैसे अगर मंत्र के पहले ओम नहीं लगाएंगे
तो यह मंत्र मृत्यु अत हो जाएगा मरा हुआ हो जाएगा प्रणव जो है ओम जो है यह इसका सर है अगर ओम आपने हटाकर केवल एम हरिम क्म चामुंडाए बच्चे कहा तो ये मृत मंत्र है जीवित मंत्र नहीं है ऐसा दुर्गा कल्प ध्रुव में लिखा हुआ है
पढ़ लीजिएगा दूसरी बात अगर आपने मंत्र के अंत में पल्लव नहीं जोड़ा है पल्लव कहते हैं वस्त्र को हर मंत्र नंगा होता है उसको एक वस्त्र पहनाया जाता है जो वस्त्र छह प्रकार के होते हैं नमः स्वाहा वट वसत फट हु यह छह पल्लव होते हैं हर मंत्र के अंत में कोई भी मंत्र हो उन मंत्रों के अंत में यही छह शब्द आते हैं
आप देख लीजिए पूरा विचार करके चाहे वेद की रिचा हो और चाहे पुराण की रिचा हो उन मंत्रों के अंत में ये छह में से कोई ना कोई जरूर आएगा तो पल्लव कहते हैं वस्त्र को नमः शांति पुष्टि के लिए किया जाता है स्वाहा वशीकरण आकर्षण और हवन के लिए किया जाता है वट लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किया जाता है
वट जो है वह उद्विग्न और मतलब कि उच्चाटन के लिए किया जाता है फट जो है उच्चाटन के लिए किया जाता है हु जो है यह मारण के लिए किया जाता है यह छह प्रकार के वस्त्र हैं छह प्रकार के पल्लव हैं जो मंत्र के अंत में अपने मनोकामना के लिए किए जाते हैं और अगर आप आसन पर नहीं नहीं बैठते हैं
तो आपका मंत्र सुप्त हो जाएगा अगर आप इसका न्यास और ध्यान नहीं करते हैं तो मंत्र गूंगा हो जाएगा और अगर आप अक्षर को आगे पीछे कर देंगे मंत्र के तो मंत्र कलित हो जाएगा अगर कोई मंत्र आप निकाल करके मंत्र में से कोई अक्षर गायब कर देंगे वह भुजंग हो जाएगा तो इस तरह से 10 प्रकार के दोष दुर्गा कल्प ध्रुव में लिखे हुए हैं तो जो मंत्र है
जिसको सिद्ध करने की जरूरत इस कलिकाल में नहीं है वह मंत्र है भगवती दुर्गा का और देवी भागवत में लिखा हुआ है भगवान कृष्ण की प्राण स्वरूपा देवी हैं
श्री राधा श्री राधा क्या है भगवान कृष्ण की प्राण स्वरूपा देवी हैं भगवान कृष्ण की प्राण कौन है श्री राधा और भगवान श्री कृष्ण की बुद्धि स्वरूपा देवी है दुर्गा राधा का मंत्र है ह्रीम श्रीम राधाय स्वाहा यह खडा मंत्र है
ह्रीम श्रीम राधाय स्वाहा देवी भागवत का मंत्र है ह्रीम श्रीम राय स्वाहा यह राधा का सक्षर मंत्र है और दुर्गा का मंत्र है ओम ऐम ह्रीम क्लीम चामुंडा विचे यह मंत्र जो है
दुर्गा का भगवान कृष्ण की बुद्धि स्वरूपा देवी का मंत्र है और यही मंत्र ऐसा है जो कलिकाल में भी सिद्ध करने की जरूरत नहीं है यह अपने आप में सिद्ध है इसमें कोई दो राय नहीं है बस इसको करने के लिए कुछ नियम हैं जिनको जानना जरूरी हैं
और अगर इनको आपने जान लिया तो सारे लक्ष्य आपके कदमों में रहेंगे सबसे पहले मैं शुरुआत करता हूं दुर्गा चालीसा से दुर्गा चालीसा में मां भगवती का गुणगान किया गया है
दुर्गा चालीसा में देवी के सभी रूपों के साथ उनकी महिमा का बहुत विस्तार से वर्णन किया गया है दुर्गा चालीसा की रचना देवी दस जी ने की थी देवी दस जी के बारे में कहा जाता है वो मां दुर्गा के सबसे बड़े भक्त थे नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति मिलती है तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती हैं
दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से विरोधियों पर विजय प्राप्त होती है और शत्रु हावी नहीं हो पाते हैं दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है मुश्किल से मुश्किल परिस्थिति में व्यक्ति डरता और घबराता नहीं है दुर्गा चालीसा का पाठ करने से जीवन में बुरी शक्तियों से निजात मिलती है
दुर्गा चालीसा का सिद्ध कर लेने से दरिद्रता दूर होती है और परेशानियों से लड़ने की शक्ति मिलती है दुर्गा चालीसा के पाठ से बिखरा हुआ परिवार जुड़ने लगता है और खोया हुआ मान सम्मान वापस मिलने लगता है जीवन में निराशा है कष्ट है कर्ज है
तो दुर्गा चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति मन और अपनी भावनाओं पर आसानी से नियंत्रण कर लेता है लेकिन दुर्गा चालीसा पढ़ते समय तामसिक चीजों का सेवन ना करें अपने मन में किसी के लिए कड़वाहट ना रखें अपने घर में साफ सफाई रखें
लेकिन इस साधना को कभी भी बिना गुरु के परामर्श के ना करें।इस बात का ध्यान रखें
अधिक जानकारी के लिए आप मेरे व्हाट्सएप नंबर 9317666790 के ऊपर संदेश भेज कर संपर्क स्थापित कर सकते हैं मैसेज भेजने का समय दोपहर 10 से दोपहर 1 2बजे तक ।
जय माँ महाकाली आदि शक्ति
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