Friday, 31 May 2024

सिद्ध संतों की गारेंटी है कि इस सिद्ध मंत्र का संपूट लगाने से हनुमान जी कार्य सिद्ध ना करें दे तो कहना

नमस्कार मित्रो पंडित नरेश नाथ युटुब चैनल पर आप का स्वागत है। आज हम को एक अत्यन्त चमत्कारिक जानकारी दे रहें हैं जिस की चाहत सभी को रहती हैं । जो पहले पाठ से असर दिखता है। कहते है की
बड़े प्यार से मिलना सबसे दुनिया में इंसान रे क्या जाने किस भेस में मिल जाए भगवान रे  कुछ ऐसा हुआ जब एक संत ने चाय पीने की इच्छा व्यक्त की चाय पीने के बाद संत महाराज ने कहा जब बहुत अवश्यक हो तब हनुमान चालीसा का इस प्रकार संपूट लगाने हनुमान जी संवय आ कर मनोरथ पूर्ण करते है लेकिन परीक्षा हेतु  या किसी के अनिष्ट कामना कभी ना करें संत महाराज के अनुसार ऐसा कुछ नही जो आप इस पाठ से प्राप्त ना हो सके सब प्राप्त हो सकता है

आप की सुविधा के लिए हम ने इसका संपूट लग कर हनुमान चालीसा लीख दी है। और जो लोग समय की कमी के कारण पढ़ नहीं सकते वह हमारे वीडियो को नित्य लगा कर भी पूर्ण लाभ उठा सकते है हमारे चैनल को आप पंडित नरेश नाथ साधना पथ  के नाम से युटुब पर सर्च कर सकते हो 
 हनुमान चालीसा  
दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि !बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि !! बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार !बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार !! 

चौपाई
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुं लोक उजागर पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ रामदूत अतुलित बल धामा।अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा ॥1॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ https://www.highcpmgate.com/e9qvmfwe6?key=fa6115f3bb0554a0c003c4e226f38237 कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ महाबीर बिक्रम बजरंगी।कुमति निवार सुमति के संगी ॥2॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ कंचन बरन बिराज सुबेसा।कानन कुंडल कुंचित केसा ॥3॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।कांधे मूंज जनेऊ साजै॥4॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ संकर सुवन केसरीनंदन।तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥5॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ विद्यावान गुनी अति चातुर।राम काज करिबे को आतुर ॥6॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।राम लखन सीता मन बसिया ॥7॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥8॥पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥  भीम रूप धरि असुर संहारे।रामचंद्र के काज संवारे ॥9॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ लाय सजीवन लखन जियाये।श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥10॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥11॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं ॥12॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।नारद सारद सहित अहीसा ॥13॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ जम कुबेर दिगपाल जहां ते।कबि कोबिद कहि सके कहां ते ॥14॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥15॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥16॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ जुग सहस्र जोजन पर भानू।लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥17॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।जलधि लांघि गये अचरज नाहीं ॥18॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ दुर्गम काज जगत के जेते।सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥19॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ राम दुआरे तुम रखवारे।होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥20॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ सब सुख लहै तुम्हारी सरना।तुम रक्षक काहू को डर ना ॥21॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ आपन तेज सम्हारो आपै।तीनों लोक हांक तें कांपै ॥22॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै।महाबीर जब नाम सुनावै ॥23॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ नासै रोग हरै सब पीरा।जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥24॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ संकट तें हनुमान छुड़ावै।मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥25॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ सब पर राम तपस्वी राजा।तिन के काज सकल तुम साजा ॥26॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ और मनोरथ जो कोई लावै।सोइ अमित जीवन फल पावै ॥27॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ चारों जुग परताप तुम्हारा।है परसिद्ध जगत उजियारा ॥28॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥  साधु-संत के तुम रखवारे।असुर निकंदन राम दुलारे ॥29॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।अस बर दीन जानकी माता ॥30॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥  राम रसायन तुम्हरे पासा।सदा रहो रघुपति के दासा ॥31॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥  तुम्हरे भजन राम को पावै।जनम-जनम के दुख बिसरावै ॥32॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 

पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ अन्तकाल रघुबर पुर जाई।जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ॥33॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ और देवता चित्त न धरई।हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥34॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ संकट कटै मिटै सब पीरा।जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥35॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ जै जै जै हनुमान गोसाईं।कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥36॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ जो सत बार पाठ कर कोई।छूटहि बंदि महा सुख होई ॥37॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥38॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥
 पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ तुलसीदास सदा हरि चेरा।कीजै नाथ हृदय मंह डेरा ॥39॥ पवन तनय बल पवन समाना । बुद्धि बिबेक विग्यान निधाना ॥ कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहीं ॥ 
दोहा : पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप ॥  
हनुमान चालीसा के लाभ अनेक लाभ है ये सभी लाभ अलग -अलग भक्तो के द्वारा बताये गए है। आपको भी अलग लाभ प्राप्त हो सकता है, आपके भक्ति और श्रद्धा पर।   हनुमान चालीसा के निम्नलिखित लाभ है। भक्ति में वृद्धि: रोजाना चालीसा करने से हमारे अंदर भक्ति और श्रद्धा भाव में वृद्धि होती है। रोग का निवारण: पाठ से हमें सभी प्रकार के रोगो से मुक्ति मिलती है और हम स्वस्थ रहते है। मानसिक शांति: इससे मानसिक चिंता से मुक्ति मिलती है। रक्षा कवच: यह चालीसा रक्षा कवच की तरह काम करता है, जो सभी भक्त लोगो को से बचाने में सहायता प्रदान करता है। ग्रह दोष निवारण: पाठ से ग्रहों के दोषों का निवारण हो सकता है और जीवन में समृद्धि आ सकती है। सफलता की प्राप्ति: यदि आप रोजाना पाठ करते है तो आपको अपने काम में सफलता मिलती है और आपके कार्यो में बढ़ोतरी होती है। आत्म-निर्भरता: इस चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति आत्म-निर्भर बनता है।  हनुमान चालीसा के पाठ करने की कुछ स्पेशल विधि साफ सफ़ाई: चालीसा का पाठ शुरू करने करने से स्नान कर ले और पूजा स्थल को साफ रखें। पाठ का स्थान: पाठ शुरू करने से पहले कोशिश करें कि किसी नजदीकी हनुमान मंदिर में जाए यह ज्यादा प्रभावित होता है। आप घर पर भी कर सकते हैं। समर्पण: इस चालीसा का पाठ करते समय अपने आप को हनुमान जी के प्रति समर्पित कर दें। मुद्राएँ और उपासना: पाठ को करते समय अपने आप को किसी एक मुद्रा में लाइन जैसे कि हंस मुद्रा या ज्ञान मुद्रा। ध्यान: इस पाठ को करते समय अपने पूरे ध्यान को हनुमान जी की तरफ लगे और मन में उनको याद करें। प्रार्थना और आशीर्वाद: पाठ समाप्त हो जाने पर हनुमान जी से अपनी मनोकामना मांगे और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।

अधिक जानकारी के लिए आप मेरे व्हाट्सएप नंबर 9317666790 के ऊपर संदेश भेज कर संपर्क स्थापित कर सकते हैं मैसेज भेजने का समय दोपहर 10 से दोपहर 1 2बजे तक ।कृपया बिना आज्ञा वीडियो वॉइस या व्हाट्सएप कॉल ना करें उस परिस्थिति में आपके नंबर को ब्लॉक कर दिया जाएगा।
जय माँ महाकाली आदि शक्ति


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